धोखाधड़ी के चलते म्यांमार में फंसे भारतीय कामगारों को छुड़ाए केंद्र सरकार: CPI

तमिलनाडु के कई मज़दूरों के साथ थाईलैंड में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखा हुआ है। म्यांमार में तमिलनाडु के कई मज़दूरों को बंधक बना लिया गया है। अब इस मामले में सीपीआई का बयान आया है।

सीपीआई का दावा है कि सभी मज़दूरों को बंधुआ मजदूर बनाया गया है। सीपीआई ने पीएम से मदद करने की अपील की है। पार्टी ने पीएम मोदी से उन्हें बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।

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‘नौकरी का लालच देकर म्यांमार ले गए’

इंडिया टीवी से मिली जानकारी के मुताबिक सीपीआई ने सोशल मीडिया अकाउंट्स का हवाला देते हुए कहा कि तमिलनाडु के मजदूरों के साथ नौकरी के झूठे वादे किए गए और उन्हें म्यांमार ले जाया गया। सीपीआई ने दावा किया कि म्यांमार के म्यावाडी में बेईमानों ने मजदूरों को बंधक बना लिया है।

सीपीआई के राज्य सचिव आर मुधारासन ने बयान जारी कर कहा, ‘म्यांमार में ऐसे कार्यकर्ताओं को यातना का सामना करना पड़ा। उनके परिवार वापस घर आ गए हैं।’ सीपीआई ने कहा कि मजदूरों को घर वापस लाने के लिए युद्ध स्तर पर कदम उठाने चाहिए।

मोदी सरकार ने मज़दूरों को दिया धोखा

इसके अलावा सीपीआई ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार इन मजदूरों को घरेलू रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। उन्होंने आरोप लगाया कि मज़दूरों को विदेशों में रोजगार पाने की पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने हर साल 2 करोड़ रोजगार के अवसर प्रदान करने के अपने वादे पर मज़दूरों को धोखा दिया है।

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गौरतलब है कि देश और विदेश में भी मज़दूरों को बंधुआ मज़दूरी के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी की ओर से जारी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पिछले साल के अंत तक दुनिया भर में करीब पांच करोड़ लोग “आधुनिक गुलामी” के पीड़ित रहे थे, जो या तो बंधुआ मजदूरी में धकेल दिए गए हैं या जबरन विवाह कर दिया गया हैं।

यह आंकड़ा पांच साल पहले आई संस्था की पिछली रिपोर्ट से 25 प्रतिशत अधिक आंकी गई है। जबकि जबरन विवाह के मामलों में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक संख्या अरब देशों में पाए गए।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation, ILO) और साझेदार “व्यावसायिक यौन शोषण” जैसे चिंताजनक रुझानों की ओर इशारा करते हैं, जो चार में से लगभग एक व्यक्ति को प्रभावित करते हैं जो बंधुआ मजदूरी के शिकार हैं।

इतना है नहीं देश में बंधुआ मज़दूरी के संबंध में ऐसे ऐसे फैसले आरहे हैं जो हैरान करने वाले हैं। अभी दो हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक और निष्ठुरता दिखाते हुए बंधुआ मजदूरों के हक में आवाज उठाने वाले याचिकाकर्ता को खरी खोटी सुनाते हुए देश में बंधुआ मज़दूर होने की बात से ही मना कर दिया।

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