क्यों और कितनी जरूरी है ओल्ड पेंशन स्कीम?

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल किए जाने के बढ़ते दबाव के बाद सरकारों का यह तर्क बेबुनियाद साबित होने लगा है कि न्यू पेंशन स्कीम (NPS) पेंशन धारकों के लिए अधिक फायदेमंद है और इससे सरकारी खजाने पर भार भी कम होगा।

हाल ही में द हिंदू में रिसर्च स्कालर और प्रेफ़ेसर ने एक लेख लिख कर समझाया कि क्यों  नई पेंशन स्कीम की तुलना में ओल्ड पेंशन स्कीम पेंशन धारकों के लिए ज्यादा बेहतर है।

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इस लेख के  एक लेखक  आर्थिक  विशेषज्ञ  और  जेएनयू  में सहायक प्रोफेसर रोहित आजाद से इस  विषय पर हमने  बात की।

‘मार्केट वैल्यू के आधार पर मिलती है NPS’

प्रो. आजाद ने बताया कि “न्यू पेंशन स्कीम मार्केट पर आधारित है। इसमें अलग-अलग रेट ऑफ इंटरेस्ट पर रिटर्न मिलता है। रिटायरमेंट के वक्त सारी गणना की जाती है। सेवा निवृति के दौरान मार्केट वैल्यू के आधार पर पेंशन की रकम तय होती है। हम लोगों ने आकलन किया है कि यदि एक व्यक्ति मोटा-मोटा 35 साल सरकारी सेवा में काम करता है। 60 से 65 साल में रिटायर होता है, तो ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत उसे यदि 100 रुपये मिलेंगे, तो न्यू पेंशन स्कीम में सिर्फ 35 से 93 रुपये ही मिलेंगे। इसमें कम से कम 6 प्रतिशत और अधिक से अधिक 10 प्रतिशत की गणना की गई है। यानी ओपीएस से कम ही पैसा मिलेगा।

बाजार के डूबने पर होता है पेंशनर्स का नुकसान

दूसरा, जो भी चीज मार्केट में इन्वेस्ट में है। क्राइस के दौर में 0 रेट ऑफ अमाउंट हो जाता है। यदि 35वें साल में क्राइसेस होता है और  बाजार डूबता है, तो पेंशनर्स का बड़ा नुकसान होगा। अमेरिका में जब स्टॉक मार्केट क्रैश हुआ था, तब 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर का नुकसान हुआ था।

हालांकि पैसा बढ़ भी सकता है, मगर रिटायरमेंट वालों के पास इंतजार करने का वक्त नहीं होता है। कर्मचारी हमेशा टेंशन में रहते हैं। उसे पता ही नहीं होता कि कितना पैसा मिलेगा। सरकार एक निश्चित रकम भी पेंशन के तौर पर दे सकती है।

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‘अर्थव्यवस्था के डूबने पर फिक्स अमाउंट है मददगार’

तीसरा, वेलफेयर स्कीम के तहत छोटे बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी और बुजुर्गों के बुढ़ापे के सहारे पर समझौता नहीं होना चाहिए। यदि अर्थव्यवस्था डूबती है, तो फिक्स अमाउंट मदद करता है। साल 2008 में जब पूरी दुनिया में मंदी थी, तब भारत में असर नहीं पड़ा। उस दौर में छठवें वेतन आयोग की सिफारिश देश में लागू हुई थी।

ऐसा कहा जाता है कि अभी देश का एक चौथाई बजट पेंशन में जा रहा है, जो ठीक नहीं लगता है। ये 25 प्रतिशत की गणना राज्य के रेवेन्यू का एक भाग है। मोटे तौर पर स्टेट को 4 जगहों से रेवेन्यू मिलता है। दावे में सही फिगर होनी चाहिए। ये 12 प्रतिशत भी होगी, तो अधिक होगी। सुझाव आते हैं कि सरकार खर्चों को कम करे। मगर इसका अंत नहीं है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर तो कम पैसा नहीं खर्च सकते।

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रेवेन्यू में बढ़ोत्तरी जरुरी

हमारा मानना है कि सरकार को रेवेन्यू बढ़ाने पर काम करना चाहिए। 11-12 प्रतिशत को 5 प्रतिशत पर ला सकते हैं। रेवेन्यू बढ़ाने के स्कोप  पर काम किया जाना चाहिए। डायरेक्ट टैक्स गरीब और अमीर व्यक्ति एक समान देता है, जिसमें सुधार की जरूरत है। डायरेक्ट टैक्स, कॉरपोरेट, इनकम टैक्स को बढ़ा सकते हैं। देश में वेल्थ टैक्स कम है। बड़े-बड़े पूंजीपति हैं, उन पर वेल्थ टैक्स लगाएं। कैपिटल गेन का टैक्स हो सकता है। इस तरह के टैक्स भारत में नहीं के बराबर है।

चौथा, पेंशन में सारे वर्कर्स को कवर करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि सिर्फ ऑर्गनाइज कर्मचारियों को पेंशन मिले। जिस तरह सैलरी में अलग-अलग कैटेगरी होती है, उसी तरह पेंशन में भी हो सकती है। एक निश्चित पेंशन दी जा सकती है।

OPS बहाली के लिए देशव्यापी प्रदर्शन जारी

देशभर में पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली के लिए धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसका ट्रेड यूनियनें साथ दे रही हैं।

कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना लागू किये जाने के बाद झारखंड सरकार ने भी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है।

महीनेभर पहले पंजाब में शासित आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी कहा था कि OPS को लागू करने के बारे में  विचार करेगी।

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अभी कर्नाटक, गुजरात, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश समेत जिन राज्यों में विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं, वहां ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किए जाने का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है।

कांग्रेस ने हिमाचल और गुजरात में तो चुनावी वादा भी कर दिया है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनना तय है। वहां कांग्रेस की सरकार बनने पर सरकारी कर्मचारियों को OPS के तहत पेंशन मिलेगी।

गौरतलब है कि 2004 में तत्कालीन बीजेपी नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने ओपीएस को खत्म कर दिया था। अब भी कई राज्य सरकारों का मानना है कि नई पेंशन स्कीम ज्यादा फायदेमंद हैं।

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