पुरानी पेंशन स्कीम: MP में कर्मचारियों ने दिखाई ताकत, पेंशन महाकुंभ में जुटे 20,000 कर्मचारी

Pension Mahakumbh MP Khargon

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार द्वारा पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल किए जाने के बाद नई पेंशन स्कीम (NPS) का विरोध और जोर पकड़ने लगा है।

मध्यप्रदेश,  गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में अगले कुछ महीनों में ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां कर्मचारी यूनियनें पूरे जोर शोर से इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने में जुट गई हैं।

रविवार को मध्यप्रदेश के खरगोन में  पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली के लिए एक विशाल प्रदर्शन हुआ और यहां कर्मचारी संगठनों ने संकल्प लिया- ‘हमारा वोट पुरानी पेंशन देने वाले दल को जाएगा।’

खरगोन के महेश्वर में 25 संगठनों के करीब 20 हजार कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली के लिए इकट्ठा हुए। कर्मचारियों ने एक स्वर में सरकार से पुरानी पेंशन जल्द बहाल करने की मांग की। कर्मचारियों ने एक स्वर से कहा कि पुरानी पेंशन नहीं, तो वोट नहीं।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले सरकार के लिए पुरानी पेंशन मुद्दा फिर टेंशन बन गया है। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारी संगठन सक्रिय हो गए हैं।

नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम मप्र के अध्यक्ष और महारैली के संयोजक परमानंद डेहरिया ने कहा कि मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक बुढ़ापे में सहारा देने वाली पुरानी पेंशन बहाली कराने की मांग को लेकर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सुन नहीं रहा है। अब याचना नहीं करेंगे, हम हक मांग रहे हैं। इसी तरह शक्ति प्रदर्शन कर सरकार को अहसास कराते रहेंगे।

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संकल्प- वोट फॉर ओपीएस

कर्मचारियों ने हाथ उठाकर संकल्प लिया कि पुरानी पेंशन बहाली को जन आंदोलन बनाएंगे।

मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय ने कहा- यदि ये सरकार पुरानी पेंशन नहीं देना चाहती, तो आने वाले चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मचारियों ने कहा कि हमारा एक ही नारा है- वोट फॉर ओपीएस।

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकारी कर्मचारी पूरा जीवन जनता की सेवा में लगा देता है। ऐसे में वृद्धावस्था में सरकार की ओर से मदद मिलनी चाहिए। सरकार को पुरानी पेंशन स्कीम लागू करना चाहिए।

इसके अलावा, वर्तमान परिस्थितियों को देखकर पेंशन दी जाना चाहिए। साल 2005 के बाद जो नई पेंशन स्कीम लागू हुई है, उनकी नीतियों को लेकर प्रदेश सरकार खुद स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रही। सरकार पशोपेश में है।

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वाजपेयी ने लागू की थी नई स्कीम

साल 2004 से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने डिफेंस को छोड़कर बाकी सेवाओं में नई पेंशन स्कीम योजना लागू कर दी थी। मध्य प्रदेश सरकार ने इसी तर्ज पर एक जनवरी 2005 से योजना को लागू कर दिया।

योजना के तहत अभी तक तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं।

दरअसल नई पेंशन स्कीम योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों के वेतन से 10% की राशि जमा की जाती है, जबकि 14% राशि प्रदेश सरकार अपनी ओर से मिलाती है।

इस तरह हर महीने 24% राशि जमा की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों के वेतन से राशि नहीं काटी जाती थी।

राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड द्वारा पुरानी पेंशन बहाली के बाद कर्मचारियों व शिक्षकों में नया उत्साह आया है।

एनपीएस के खिलाफ तमाम राज्यों के कर्मचारियों के विभिन्न आंदोलन लगातार तेज हो रहे हैं। दूसरी ओर केन्द्रीय कर्मचारी भी आंदोलन की राह पर हैं।

आगामी चुनावों के मद्देनजर मध्यप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के लिए कांग्रेस ने वादा किया है।

पिछले यूपी चुनाव में भी समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने सत्ता में आने के तुरंत बाद ओपीस लागू करने का वादा किया था, लेकिन शायद उत्तर प्रदेश की जनता को इसकी जरूरत नहीं थी, सो वो चुनाव हार गए।

संगठन

आजाद अध्यापक संघ मप्र, ट्रायबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन, भारतीय आजाद परिषद, सभी विभागों का पेंशनर्स एसोसिएशन, आजाद पंचायत सचिव कर्मचारी संघ, मप्र पंचायत सचिव संगठन, अध्यापक अधिकार संघ, मप्र हेल्थ ऑफिसर्स एसोसिएशन, मप्र राज्य चिकित्सा शिक्षक संघ, प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, पंचायत सचिव, सहायक सचिव महासंघ, गुरुजी प्राथमिक शिक्षक संघ, राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संघ, मप्र शिक्षक संघ के प्रदेश, मप्र शासकीय शिक्षक संघ, राज्य शिक्षक कांग्रेस, आम अध्यापक शिक्षक संघ, मप्र पटवारी संघ, प्रांतीय शिक्षक संघ मप्र, मप्र ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी संघ, मप्र पुरानी पेंशन बहाली महासंघ, व्यायाम अध्यापक संगठन मप्र, मप्र समग्र शिक्षा शिक्षक उत्थान संघ, राज्य शिक्षक संघ।

(संपादन के साथ, मेहनतकश से साभार)

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