देश कैसे निगला गया! अमीरी के एवरेस्ट और गरीबी के महासागर का निर्बाध विस्तार

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बीते एक महीने में दो ऐसी खबरें आई हैं, जिसने भारत की प्रगति की कलई उधेड़ कर रख दी है। एक साथ अमीरी के टापू और गरीबी के महासागर का विस्तार हो रहा है।

जो पहली खबर है वो मोदी के एक दुलरुआ गौतम अडानी के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पूंजपति बनने की। और दूसरी अभी ताज़ा खबर है, भुखमरी के मामले में भारत के, पाकिस्तान, बांग्लादेश  (84वां) और श्रीलंका (64वां) से भी बदतर हालात की।

इस  साल के ग्लोबल हंगर इंडेक्स के 121 देशों में भारत 107वें नंबर पर है जबकि पाकिस्तान 99वें नंबर पर।

मोदी सरकार का इस पर तुरंत बयान या जिसे पलटवार कहें, आ गया। इसमें कहा गया है कि ये भारत को बदनाम करने की साजिश है। लेकिन मोदी सरकार की ओर से अडानी की बढ़ती अंधाधुन दौलत पर ज़बान पर ताला लगा हुआ है।

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आठ साल में 300 गुना दौलत

सत्य हिंदी डॉट कॉम से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं-

अमरीका पूंजीवाद का मक्का है। वहां के सबसे बड़े/ मशहूर चार उद्योगपति एलन मस्क (272 बिलियन डॉलर), ज़ेफ़ बेज़ोस (152 बिलियन डॉलर), बिल गेट्स (106 बिलियन डॉलर) और मार्क जुकरबर्ग (54 बिलियन डॉलर) मिलकर 584 बिलियन डॉलर पर पहुँचे थे / हैं जो अमरीका की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 21 ट्रिलियन डॉलर का 2.78 फ़ीसदी होता है।

भारत में अडानी जी की संपत्ति का ताज़ा आंकलन 155 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा है और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद 3.2 ट्रिलियन डॉलर है ।

अकेले अडानी की संपत्ति इसके पांच फीसदी (4.9% actually) तक जा पहुंची है।

अमरीका के ऊपर वर्णित चारों उद्योगपतियों की लीड कंपनियां Fortune 500 की लिस्ट की सर्वोच्च कंपनियों में शुमार हैं। अडानी की एक भी कंपनी इसमें शामिल नहीं है।

अडानी की दौलत पिछले आठ सालों में 300 गुना के आसपास बढ़ी है और लगातार बढ़ रही है जबकि पिछले आठ बरसों में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि दर पांच फीसदी के आस पास ही है।

इन आठ सालों में क्या और किसके लिए हुआ है यह देश के 140 करोड़ लोगों का सवाल होना चाहिए पर ऐसा क्यों नहीं है?

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