पुडुचेरी के 20,000 बिजलीकर्मी बेमियादी हड़ताल पर, 700 कर्मी गिरफ़्तार, अंधेरे में डूबा पूरा पुडुचेरी

By शशिकला सिंह

तमिलनाडु के पड़ोसी पुडुचेरी में इमरजेंसी की हालत पैदा हो गई है। पुडुचेरी में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों की सामूहिक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। पांचवें दिन भी जारी रही इस हड़ताल के कारण यह टूरिस्ट प्लेस अंधेरे में डूब गया है।

सरकार ने एस्मा लगा कर प्रदर्शनकारियों की ताबड़तोड़ गिरफ़्तारियां कर रही है। अब तक 700 से भी अधिक कर्मचारियों और इंजीनियरों की गरफ्तारियां हो चुकी हैं।

यहां तक कि स्ट्रीट लाइट भी बंद पड़ी हुई हैं, त्यौहार के साम जमघट लगे बाज़ारों में अंधेरा पसरा हुआ है। यहां तक कि स्थानीय लोग भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने उतर पड़े हैं।

उल्लेखनीय है कि बीजेपी सरकार ने निजीकरण के लिए 27 सितंबर को बिडिंग प्रक्रिया शुरू कर दी, जिसके विरोध में पुडुचेरी के तमाम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 28 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल चले गए।

बिजलीकर्मियों की मांग है कि निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए। न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट (एनडीएलएफ) राज्य समन्वय ने केंद्र शासित प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारी बेमियादी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।

हालांकि कुछ खबरों में कहा गया है कि विपक्षी राजनीतिक पार्टियां डीएमके, सीपीएम, सीपीआई, वीसीके, सीपीआईएमएल भी इस प्रोटेस्ट में शामिल हो गए हैं और हड़ताल के समर्थन में सोमवार को एक विशाल मानव श्रृंखला बनाई।

Protesting Privatisation of Puducherry government electricity department, all the opposition parties Congress, DMK, Cpim, Cpi, VCK, Cpiml jointly conducted huge Human-Chain today morning in Puducherry.

पुडुचेरी इलेक्ट्रिसिटी विभाग के सैकड़ों हड़ताली कर्मचारियों और इंजीनियरों को तीन अक्टूबर की सुबह सुबह गिरफ़्तार कर लिया गया है। पुडुचेरी पुलिस, सीआरपीएफ़ ने शांतिपूर्ण धरने पर बैठे 700 कर्मचारियों और इंजीनियरों को गिरफ़्तार कर लिया है।

ये भी पढ़ें-

बिजली के निजीकरण की कोशिश

शनिवार की रात राज्य के कुछ हिस्सों में पांच से सात घंटे तक बिजली गुल रही और कुछ जगहों पर रविवार तक बिजली कटौती की गई। विलियानूर और अरियापलायम में कर्मचारियों ने सड़कों को जाम कर अपना विरोध जाहिर किया।

केंद्रीय ट्रेड यूनियन एटक ने एक बयान जारी कर कर्मचारियों की ताबड़तोड़ गिरफ़्तारी की निंदा की है और गिरफ़्तार कर्मचारियों को तत्काल रिहा करने की मांग की है।

एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार 2020 से ही बिजली संशोधन बिल को पास कराना चाह रही है, लेकिन किसान आंदोलन के कारण उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह तीन कृषि कानूनों और लेबर कोड को बीजेपी ने पहले अपने अपने राज्यों में चोर दरवाजे से लागू करने की साजिश रची है, उसी तरह बिजली संशोधन बिल 2020 को भी चोर दरवाजे से लागू करने की कोशिश की जा रही है।

एटक महासचिव का कहना है कि मोदी सरकार इससे पहले उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में बिजली वितरण के निजीकरण की कोशिशें कर चुकी है, लेकिन कर्मचारियों के एकजुट विरोध प्रदर्शन के कारण उनकी साज़िश सफल नहीं हो पाई।

उन्होंने कहा कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज़ एंड इंजीनियर्स (नोसी) National Co-ordination Committee of Electricity Employees & Engineers ने पूरे देश से बिजली कर्मचारियों को लामबंद कर पुडुचेरी में हड़ताली कर्मचारियों के समर्थन में पहुंचने का ऐलान किया है।

ये भी पढ़ें-

आरोप

 

यूनियनों का तर्क

कर्मचारियों का कहना है कि पुडुचेरी का बिजली विभाग मुनाफे में चल रहा है और पुडुचेरी की बिजली नुकसान मात्र 11.5 प्रतिशत है जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड 15 प्रतिशत से कम है।

केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में निजीकरण हेतु स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी किया था जिसे केंद्र सरकार ने अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया है।

ऐसे में यह सवाल उठता है कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट फाइनल किए बिना किस आधार पर पूरे बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है।

बिजली कर्मचारियों की मांग है कि पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द किया जाए और निजीकरण हेतु जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट वापस लिए जाएं।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे पुडुचेरी के बिजली कर्मियों का दमन करने की कोई कोशिश की गई तो इसकी गंभीर प्रतिक्रिया होगी और देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इसके विरोध में सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जायेंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।

उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने आंदोलनकारी कर्मचारियों को उनके खिलाफ आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) के तहत कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

गृह एवं बिजली मंत्री ए नमस्वियम ने कर्मचारियों को चेतावनी दी थी कि अगर कर्मचारी हड़ताल पर रहे तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।

हालांकि नमस्वियम की घोर आलोचना हो रही है कि जिस दौरान पूरे प्रदेश में अभूतपूर्व बिजली संकट पैदा हो गया है और हज़ारों कर्मचारी हड़ताल पर हैं, वो आरएसएस की एक रैली में हिस्सा ले रहे थे।

उल्लेखनीय है कि न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट (एनडीएलएफ) मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) का घटक है। मासा ने चार लेबर कोडों के ख़िलाफ़ 13 नवंबर को दिल्ली चलो की कॉल दिया है।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.