सुप्रीम कोर्ट ने लिया प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा का संज्ञान, केंद्र व राज्य सरकारों को नोटिस

 

By आशीष सक्सेना

कोविड-19 की विश्व महामारी के असर में हुई राष्ट्रव्यापी तालाबंदी से प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा की सुप्रीम कोर्ट ने सुध ली है। इस सिलसिले में पूर्व नौकरशाह हर्ष मंदर और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने याचिका दाखिल की थी।

याचिका स्वीकार कर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तीन अप्रैल को केंद्र व राज्य सरकारों को जवाब दाखिल करने को नोटिस जारी किया है।

याचिका में लॉकडाउन की अवधि के दौरान सभी प्रवासी श्रमिकों को वेतन का भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई है।

अगली सुनवाई सात अप्रैल को होगी, इससे पहले केंद्र सरकार को अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करनी होगी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और दीपक गुप्ता की बेंच ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई की।
बेंच ने कहा कि यह विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा की चिंता का मामला है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने कोविड-19 के प्रकोप के चलते 21 दिन लॉकडाउन से प्रवासी श्रमिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ इसलिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

याचिकाकर्ताओं का ये भी कहना है कि लॉकडाउन के औचक आदेश के चलते बड़े पैमाने पर पलायन हुआ, जिससे प्रवासी कामगारों एक तरह से बेदखली की सूरत का सामना करना पड़ा।

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