कोरोना से निपटने को भारत सरकार ने विश्व बैंक से लिया एक अरब डॉलर का कर्ज

By आशीष सक्सेना

कोविड-19 की महामारी के लॉकडाउन के बीच विश्व बैंक ने 65 देशों की कथित मदद के लिए खजाने का मुंह खोला है। हालांकि इसमें बड़ी रकम कर्ज के तौर ही जारी की गई है। इस कर्ज मिलने की कतार में सबसे बड़ी रकम भारत के हिस्से आई है।

कोरोना वायरस से निपटने के लिए विश्व बैंक ने तीन मार्च को ही निदेशकों की बैठक में कर्ज व सहायता उपलब्ध कराने का निर्णय कर लिया था। दो अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह नौ बजे राष्ट्र को संबोधित किया।

निर्णय के आधार पर संबंधित देशों को पहले चरण की धनराशि देने की प्रक्रिया पूरी की गई। भारत को सबसे ज्यादा एक अरब अमेरिकी डॉलर धनराशि दी गई है, जबकि पाकिस्तान को बीस करोड़ डॉलर मिले हैं।

दोनों ही देश मिडिल इनकम कंट्री की कैटेगरी में हैं, जिसको विश्व बैंक की प्रमुख शाखा आईबीआरडी (इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्टक्शन एंड डेवलेपमेंट) के जरिए धनराशि मिली है।

आईबीआरडी मिडिल इनकम कंट्रीज को कर्ज बतौर ही सहायता देती है, जिसके एवज में ब्याज समेत रकम वापस करना होती है, बल्कि उसको वापस करने के लिए किस नीति पर काम करना है, ये रास्ता भी उसके हिसाब से तय होता है।

यहां बता दें, इस समय विश्वबैंक के मुखिया डेविड मलपास हैं, जिनकी नियुक्ति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सात अप्रैल 2019 को की थी। इससे पहले डेविड मलपास राष्ट्रपति ट्रंप के आर्थिक सलाहकार बतौर सेवाएं दे चुके हैं।

विश्व बैंक में सबसे ज्यादा शेयर और निर्णय में सबसे ज्यादा वोट 15 प्रतिशत से ज्यादा अकेले अमेरिका के हैं। भारत के पास तीन प्रतिशत से कम वोट हैं और प्रमुख निदेशक देश भी नहीं है।

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