टाटा टेक्नोलॉजी में 400 आईटी कर्मचारियों की छंटनी, 8 महीने तक नहीं दी सैलरी

पुणे में आईटी कर्मचारियों के एक यूनियन नासेंट इनफोर्मेशन टेक्नोलॉजी इम्पलोई सीनेट (NITES) ने टाटा टेक्नोलॉजी, हिंजेवाड़ी के खिलाफ पुणे के श्रम आयुक्त कार्यालय में कानूनी कार्रवाई करने के लिए शिकायत दर्ज कराई है।

एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सलूजा का कहना है कि टाटा टेक्नोलॉजी, हिंजवाड़ी ने कोरोना माहामारी के दौरान कॉस्ट कटिंग के नाम पर अपने कई कर्मचारियों को अवैध रुप से छुट्टी पर भेज दिया था और इसकी हमें लगातार शिकायत मिल रही थी।

सलूजा ने बताया कि आईटी फर्म ने जून 2020 में करीब 400 कर्मचारियों को फरलो पर रखा था। जिसका मतलब ये होता है कि कंपनी कर्मचारियों को जबरदस्ती छुट्टी पर भेज देगी लेकिन कर्मचारी  फर्म के रोल पर रहेंगे  और उनकी पहुंच कॉर्पोरेट इंश्योरेंस तक भी होगी लेकिन उन्हें उनका मासिक मुआवजा नहीं मिलेगा। कर्मचारी 31 दिसंबर 2020 तक बिना वेतन के अवकाश पर रहे।

सलूजा ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया “टाटा टेक्नोलॉजीज जैसी आईटी फर्में औद्योगिक विवाद अधिनियम और दुकानों-प्रतिष्ठान अधिनियम के दायरे में आती हैं, जहां फरलो की कोई अवधारणा नहीं है, जिससे यह अवैध हो जाता है।”

नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने कंपनी की तरफ से मिले एक ईमेल को साझा करते हुए बताया कि 1 मार्च को करीब 800-1000 कर्मचारियों को प्रबंधन की तरफ छंटनी का ईमेल मिला है।

इस दौरान पिछले 8 महीनों से कंपनी ने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दिया है। और अब कंपनी ने इनको पूरी तरह से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

एनआईटीईएस ने पुणे के श्रम आयुक्त को अपनी शिकायत में लिखा कि कंपनी ने महाराष्ट्र राज्य सरकार के 31 मार्च 2020 को जारी नियमों और अन्य वैधानिक श्रम कानूनों का उल्लंघन किया है।

एनआईटीईएस ने श्रम आयुक्त को लिखे अपने पत्र में कहा गया है कि “हम उम्मीद करते हैं कि राज्य/केंद्र सरकार के अधिकारी ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कर्मचारियों के पक्ष की रक्षा करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित अधिकारी सख्त उपाय करें और भविष्य में कर्मचारियों के प्रति इस तरह के असंवेदनशील व्यवहार से बचने के लिए एक उदाहरण स्थापित करें।”

वहीं टाटा टेक्नोलॉजी ने 800 कर्मचारियों की छंटनी पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि “हमने ये फैसला कर्मचारियों के साथ चर्चा करने के बाद लिया है। कर्मचारी एक तय समय तक अवैतनिक छुट्टी पर थे और अब उन्होंने स्वयं भुगतान छुट्टी पर आगे बढ़ने का विकल्प चुना है।”

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