हड़ताल के 24 घंटे के भीतर हुआ सत्यम ऑटो में फैसला, निकाले गए वर्कर काम पर लौटे, वेतन समझौता 28 तक

satyam auto

हरियाणा के आईएमटी मानेसर के सेक्टर 3 (प्लाट नंबर 26सी) में स्थित ऑटो पार्ट्स मेकर कंपनी सत्यम ऑटो में सोमवार को हुई हड़ताल समाप्त हो गई है।

सत्यम ऑटो वर्कर्स यूनियन के जनर सेक्रेटरी उमेद सिंह ने बताया कि मैनेजमेंट के साथ उनका समझौता हो गया है और सस्पेंडेड चल रहे तीन परमानेंट वर्करों को काम पर वापस ले लिया गया है।

वर्कर्स यूनिटी से बात करते हुए कहा कि 28 मार्च तक वेतन समझौता पूरा करने की तारीख़ दी गई है और जल्द ही इस पर बातचीत शुरू होगी।

उप श्रम आयुक्त, सर्कल-2 की मध्यस्थता में हुए इस समझौते में कहा गया है कि  कंपनी से निकाले गए तीन मज़दूरों को वापस लिया जाएगा, जिन मज़दूरों पर जांच चल रही है, उसका जल्द से जल्द निपटाया किया जाएगा।

यूनियन ने समझौता पत्र जारी करते हुए कहा है कि औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 12 (3) के तहत दोनों पक्षों में समझौता हुआ है।

कंपनी के क़रीब एक हज़ार वर्कर कंपनी के अंदर ही दोपहल क़रीब 1.50 बजे शॉप फ्लोर पर ही धरने पर बैठ गए थे। यूनियन के प्रधान इंद्रजीत बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद प्रबंधन कैजुअल और ठेका मज़दूरों को काफ़ी परेशान कर रहा था और उनसे 12-12 घंटे काम लिया जा रहा था। बात बात पर नोटिस थमा दी जा रही थी। इसलिए वे भी साथ में ही धरने पर बैठ गए।

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20 महीने से रुका था वेतन समझौता

प्रबंधन और यूनियन के बीच गुड़गांव, सर्कल-2 के उप श्रम आयुक्त और सर्कल 15 के लेबर इंस्पेक्टर की मध्यस्थता में सामूहिक मांगपत्र पर वार्ता हुई।

यूनियन का कहना था कि लंबे समय से गुड़गांव, एनसीआर के अतिरिक्त श्रम आयुक्त के सामने उनका मांग पत्र लंबित था। लेकिन प्रबंधन समझौता वार्ता नहीं चाहती थी, जिससे श्रमिकों में आक्रोश था।

समझौते के अनुसार, हड़ताल के दौरान का वेतन नहीं काटा जाएगा। और सामूहिक मांगपत्र पर 28 मार्च से पुहले इस पर कोई अंतिम फैसला ले लिया जाएगा। इसके लिए हर दूसरे दिन यूनियन और प्रबंधन के बीच वार्ता होगी।
समझौते में ये भी कहा गया है कि प्रबंधन किसी भी मज़दूर के ख़िलाफ़ द्वेष भावना से कोई अनुशासनिक कार्यवाही नहीं करेगा।

जिन मज़दूरों पर जांच बैठाई गई है, उनके बारे में जल्द से जल्द समझौता किया जाएगा।

जिन तीन मज़दूरों को कंपनी से बीते समय में निकाला गया था, उन्हें 15 दिन बाद वापस लिया जाएगा और उछह महीने तक उनकी सैलरी में पांच प्रतिशत की कटौती की जाएगी।

यूनियन के प्रधान इंद्रजीत, महासचिव उमेद सिंह और अन्य प्रतिनिधियों समेत प्रबंधन और लेबर अफ़सरों के साथ समझौते पर 2 मार्च को हस्ताक्षर किए गए।

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के बाद यहां तीन शिफ़्ट ख़त्म करके दो शिफ़्ट कर दी गई जिसमें वर्करों से 12-12 घंटे काम कराया जा रहा है। परमानेंट वर्करों की शिफ़्ट दिन में कर दी गई है।

यूनियन के महासचिव उमेद सिंह ने बताया कि 22 फ़रवरी से ही ये वर्कर भूख हड़ताल पर थे और एक मार्च को जब मैनेजमेंट ने लंच करने का दबाव बनाया तो सभी लोग टूल डाउन कर प्लांट में ही बैठ गए।

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