कोरोना रोगियों की सेवा में तैनात दिल्ली सिविल डिफ़ेंसकर्मियों को न सैलरी मिली, न मास्क-पीपीई

civil defence delhi

By हिमांशु गैड़ा

एक तरफ सरकार कोरोना वारियर्स पर फूल बरसा रही है और 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा कर वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही है दूसरी तरफ दिल्ली में तैनात होमगार्ड और सिविल डिफेन्स मार्शलों को न तो अप्रैल महीने की सैलरी मिली है और ना ही सुरक्षा किट।

मामला दिल्ली में लगातार ड्यूटी कर रहे और लॉक डाउन के पालन में बहुत अहम् भूमिका निभाने वाले सिविल डिफेन्स कर्मियों का है। दिल्ली में लगभग 12,000-13,000 सिविल डिफेन्स कर्मी और होमगार्ड हैं।

ये सभी कर्मचारी कोरोना काल से पहले डीटीसी की बसों में सुरक्षा कर्मी के तौर पर तैनात थे। लेकिन कोरोना के दौरान इनको भी ड्यूटी पर उतारा गया है।

हमारे रिपोर्टर एक सर्वोदय विद्यालय शेल्टर होम में परवर्तित किया गया है रिपोर्टिंग के लिए जब गए तो गेट पर सुरक्षा के लिए तैनात महिला डिफेन्स कर्मचारियों ने अपनी आप बीती सुनाई। वीडियो इंटरव्यू पर कार्यवाही के डर से उन्होंने अपना नाम ज़ाहिर नहीं किया।

इन महिला मार्शलों से पता चला की इनको दिहाड़ी पर रोज़ के 732 रुपये मिलते हैं। इसका मतलब छुट्टी नहीं मिलती।

मार्च से बहुत से कर्मचारी अपनी तनख्वाह का इंतज़ार कर रहे हैं और अप्रैल से लगभग सभी कर्मचारिओं को सैलरी नहीं मिली है। जब पूछा गया की बिना सैलरी के घर कैसे चल रहा है तो जवाब था – “कर्ज लेकर”।

इसके बाद इन्होने हमें बताया की अब 12 घंटे काम करने का फरमान आ गया है। और 12 घंटे काम न करने पर बुरा व्यवहार और धमकियाँ मिल रही हैं। ड्यूटी की हाज़री बड़े अफसर अपने हाथ से लगते हैं और उनकी इसपर भी कोई सुनवाई नहीं है।

सिविल डिफेन्स के कर्मचारी अभी दिल्ली के सभी स्कूलों में खाने वितरण करने में सबसे आगे हैं। इससे इनको कोरोना संक्रमण होने का खतरा भी ज़्यादा है लेकिन न तो किसी को PPE किट मिल रही न ही मास्क।

इंटरनेट पर थोड़ी जानकारी इकठ्ठा करने पर पता चला की दिल्ली सिविल डिफेन्स भी दिल्ली पुलिस की तरह गृह मंत्रालय के अधीन आती है।

arvind kejriwal

सवालों के घेरे में दिल्ली सरकार के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी हैं जिनके मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी बिना तनख्वाह के बिना बोले 12 घंटे काम करने के लिए तैयार हैं।

आपको जानकार हैरानी नहीं होनी चाहिए की लगभग हर राज्य में पुलिस के ग्राउंड वर्क का एक चौथाई भार संभालने वाले होमगॉर्ड इसी स्थिति में नौकरी कर रहे हैं।

इनको न तो जॉब सिक्योरिटी मिल पाती है न ही पूरी सैलरी। बिना किसी सरकारी स्वास्थ लाभ के इनको कोरोना से लड़ने मौत के मुँह में सरकार वैसे ही भेज रही है जैसे अपने डॉक्टर और नर्सों को।

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