पंजाब में रेल पटरी पर धरना जारी, जियो सिम जला रहे हैं प्रदर्शनकारी किसान

By संजीव पांडे

पंजाब के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसान सड़कों और रेलवे ट्रैक पर धरने तक सीमित नहीं है। पंजाब के किसान पहली बार मुकेश अंबानी औऱ गौतम अडाणी को निशाना बना रहे हैं। पंजाब में अडाणी ग्रुप के अनाज भंडार के बाहर किसानों का धरना जारी है।

लोगों ने रिलांयस के पेट्रोल पंपों का बॉयकॉट शुरू कर दिया है। रिलांयस के मॉलों का भी लोग विरोध कर रहे हैं। कारपोरेट जगत के दो बड़े घराने पहली बार आम जन के निशाने पर हैं।

पहली बार खुलकर पंजाब में आम किसान अडाणी और अंबानी ग्रुप के साथ सरकारी गठजोड़ का आरोप लगा रहे है। पंजाब के नेता भी खुलकर अडाणी और अंबानी पर निशाना साध रहे है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर विपक्षी अकाली दल नेता सुखबीर बादल का आऱोप है कि अडाणी और अंबानी पंजाब की खेती को कंट्रोल करना चाहते हैं। उनका आरोप है कि पंजाब की सरकारी मंडियों को बीएसएनएल के तर्ज पर तबाह करने की योजना है।

हालांकि रिलांयस का विरोध करने वाले नेताओं के पास खुद रिलांयस का पेट्रोल पंप है। बादल परिवार के पास पंजाब के मुक्तसर जिले में रिलांयस के दो पेट्रोल पंप हैं। इस पेट्रोल पंप के पास भी किसानों ने धरना दिया। वहीं कुछ कांग्रेसी नेताओं के पास भी रिलांयस का पंप है।

punjab farmers protest

रिलायंस के पेट्रोल पंपों पर धरना

पंजाब के मालवा बेल्ट में रिलांयस के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। किसानों औऱ युवाओं के निशाने पर केंद्र सरकार है। साथ ही निशाने पर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलांयस है। गौतम अडाणी को भी किसानों ने निशाने पर ले रखा है।

मालवा इलाके में रिलांयस इंडस्ट्री के लगभग दो दर्जन पेट्रोल पंप किसानों ने बंद करवा रखे है। बृहस्पतिवार को बरनाला, भटिंडा, मानसा, लुधियाना और संगरूर में कई पेट्रोल पंपों को लोगों ने बंद करवा दिया।

भुच्चों, भटिंडा और अमृतसर में रिलांयस माल किसानों के विरोध के कारण बंद रहे। दूसरी तरफ केंद्र सरकार के खासे नजदीक गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी एग्री लॉजिस्टिक के मोगा और संगरूर स्थित अनाज भंडारों के बाहर किसानों का धरना चल रहा है।

किसान और युवा जियो का सिम सरेंडर कर रहे है। उसकी जगह एयरटेल और दूसरी कंपनियों का सिम ले रहे हैं।

किसान साफ शब्दों में कह रहे है कि कारपोरेट सेक्टर किसानों को तबाह करने पर तुला है। अंबानी और अडाणी जैसे कारपोरेट घराने पूरे देश को तबाह कर रहे है। उनके निशाने पर मंडियों के छोटे व्यापारी भी है।

वैसे में इन दो घरानों के साथ सीधे संघर्ष के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। आंदोलन कर रहे किसानों का आऱोप है कि अडाणी और रिलांयस इंडस्ट्री की रूचि कृषि क्षेत्र में काफी लंबे समय से है।

कृषि अध्यादेशों पर सवाल

ये दोनों उस वैश्विक कारपोरेट डिजाइन का अनुसरण कर रहे है जिसमें वैश्विक कारपोरेट खेती और पानी पर कब्जे करने की योजना बना रहा है। क्योंकि कृषि लाभकारी क्षेत्र है।

दोनों कारपोरेट घरानों को पता है कि दूसरे सेक्टरों में मंदी आ सकती है। लेकिन खाद और पानी के क्षेत्र में मंदी नहीं आएगी। लैटिन अमेरिकी देशों में कारपोरेट घरानों ने खाद्य उत्पादन और पानी को अपने नियंत्रण में लिया।

भारत की आबादी एक अरब से ज्यादा है। बेशक भारत जैसे देश में सारे सेक्टर में मंदी आ जाए, लेकिन लोग जीवन बचाने के लिए खाना खाएंगे। इसलिए अडाणी और अंबानी दोनों घरानों की योजना कृषि को नियंत्रित करने की है।

सवाल यह है कि सरकार के उपर कौन सा दबाव था कि राज्यों से विचार विमर्श किए बिना केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन अध्यादेश जारी कर दिए ?

राज्यसभा में हंगामे के बीच नियम कानून को तोड़ कृषि क्षेत्र के बिलों को पारित करवा लिया गया? पंजाब के किसान यही सवाल पूछ रहे हैं।

(गिरीश मालवीय के फ़ेसबुक वॉल से)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.