14 अप्रैल को खट्टर करेंगे अम्बेडकर मूर्ति का अनावरण, दलितों को किसानों से लड़ाने की साज़िश का आरोप

MANOHAR LAL KHATTAR

आगामी 14 अप्रैल को हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल खट्ट ने सिंघु बॉर्डर के पास एक कार्यक्रम रखा है। वहीं हरियाणा के उपमुख्यमंत्री ने भी कैथल में एक कार्यक्रम रखा है।

संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा है कि ये दोनों कार्यक्रम किसानों व मजदूरों को लड़ाने के मकसद से किए जा रहे हैं। मोर्चे ने आगाह किया है कि ये जाट-गैर जाट के बीच खाई बढ़ाने की साज़िश है।

बयान में कहा गया है कि हरियाणा के किसान लगातार भाजपा-जजपा सरकार का लगातार सामाजिक बॉयकॉट कर रहे हैं। खट्टर सरकार इसे इस तरह पेश कर सकती है कि किसान दलितों के कार्यक्रम नहीं होने दे रहे।

मोर्चे ने साफ़ किया है कि किसान किसी भी तरह से दलितों की भावनाएं आहत नहीं होने देंगे एवं साथ ही भाजपा सरकार का दलित विरोधी चेहरा भी किसी से छुपा नहीं है। पिछले समय मे इस सरकार द्वारा छात्रवृत्ति, SC-ST एक्ट, रोजगार व अन्य मसलो पर दलितों पर बेहद अत्याचार किये हैं।

बयान के अनुसार, खट्टर सरकार का यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से दलितों व किसानों को लड़ाने के उद्देश्य से करवाया जा रहा है। भाजपा इसमें हिंसा भी करवा सकती है। हम हरियाणा के सभी दलित बहुजन संगठनों से अपील करते है कि इस कार्यक्रम मे खट्टर का शांतमयी ढंग से विरोध करें।

11 अप्रैल को सिंधु बॉर्डर पर सर्वजातीय अंतिल खाप के धरना स्थल पर हवा सिंह की प्रधानी में एक सर्वजातीय सर्वखाप पंचायत का आयोजन हुआ। इस पंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता भी उपस्थित थे।

पंचायत फैसला हुआ कि 14 अप्रैल को राई हलके के गांव बडौली में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के आने का पुरजोर और शांतिपूर्वक विरोध किया जायेगा। पंचायत ने यह स्पष्ट किया कि हमारा विरोध बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के अनावरण से नहीं है। मुख्यमंत्री को छोड़कर और कोई भी इस प्रतिमा का अनावरण करे तो किसानों को कोई ऐतराज नहीं है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने इस फैसले का समर्थन किया और इसमें पूरा सहयोग देने की घोषणा की। मोर्चे ने यह स्पष्ट किया कि 14 अप्रैल के दिन हरियाणा में यह विरोध केवल मुख्यमंत्री खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के कार्यक्रमों तक सीमित रहेगा।

मोर्चे ने कहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती कार्यक्रम सभी धरनास्थलों पर मनाया जाएगा। इस दिन देशभर से दलित बहुजन दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचेंगे।

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