नोएडा होंडा कार प्लांट से निकाले गए 600 मज़दूरों की पीड़ा बताती एक मज़दूर की चिट्ठी

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हम कर्मचारी होण्डा कार्स इंडिया लिमिटेड ग्रेटर नोएडा में काम करते थे, लेकिन कंपनी मैनेजमेंट ने श्रमिक वर्ग के साथ जबरदस्ती करके और धोखा देकर नौकरी से निकाल दिया।

हमारे श्रमिक भाई उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री सुशील बराला से मिले लेकिन लॉलीपॉप देकर भेज दिया। हमने प्रधानमंत्री व केन्द्रीय श्रम मंत्री को पत्र लिखा लेकिन जबाव नहीं आया।

हमने कुछ मिडिया को इस मैटर से अवगत कराया लेकिन समाधान नहीं हुआ। इन श्रमिकों की बात न तो प्रशासन सुन रही है और नहीं उतर प्रदेश सरकार व डीएलसी अधिकारी।

वीआरएस पालिसी में काफ़ी घपला किया गया है। कंपनी मैनेजमेंट ने सैलेरी स्लिप में जन्म तिथि तक बदल दी।

इसके अलावा कंपनी परिचर में 22मार्च 2020 के दिन यूनियन के चुनाव भी नहीं हो पाया क्योंकि जनता कर्फ्यू लगा दिया गया था।

यह सारी जानकारी श्रमिकों ने RTI act 2005 के मार्फत प्राप्त किया था। कंपनी में लगभग 600 श्रमिकों को सीआरएस (यानी जबरदस्ती रियाटरमेंट)  दिया है लेकिन सरकार के सामने आंकड़े गलत पेश किए गए।

यह श्रमिकों व उनके परिवार आज रोजगार जाने के बाद परिवार के सदस्यों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।

मंत्री को चिट्ठी-

कंपनी होण्डा कार्स इंडिया लिमिटेड ग्रेटर नोएडा में जो श्रमिकों के साथ धोखाधड़ी कि गई है क्या ऐसे मामले में मंत्री पद रहते हुए आपकी संज्ञान में है या नहीं।

अगर नहीं तो क्यों नहीं और अगर है तो फिर इन श्रमिकों के साथ आपके होते हुए श्रमिकों के साथ धोखाधड़ी कैसे संभव हुई हम सभी 600 होण्डा श्रमिकों आपसे जानना चाहते हैं।

हालात यह है कि श्रमिकों कि आवाज न तो प्रशासन सुन रही है और नहीं सरकार कि तरफ से सकारात्मक परिणाम मिल रहा है ।

यह सभी मजदूर अपने हक के लिए दर दर ठोकरें खा रहे हैं लेकिन हमारे कर्मचारी को लगता है कि सरकार हो या प्रशासन सभी जगह पैसे वालों का ही बोलबाला है?

-मंगल सिंह, मज़दूर, होण्डा कार्स इंडिया लिमिटेड, ग्रेटर नोएडा

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