केएमपी 24 घंटे के लिए जाम, 13 अप्रैल को खालसा पंथ का स्थापना दिवस मनाएगा किसान मोर्चा

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संयुक्त किसान मोर्चे ने दिल्ली के बॉर्डर पर खालसापंथ का स्थापना दिवस मनाने का फैसला किया है। साथ ही दलित और बहुजन आबादी से प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान किया है।

एक बयान में कहा गया है कि 13 अप्रैल को खालसा पंथ का स्थापना दिवस के साथ ही जलियांवाला बाग हत्याकांड की बरसी पर शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम होंगे।

बीते 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल क़िले पर खालसा पंथ का झंडा फहराए जाने के बाद किसान मोर्चे ने खालिस्तान आंदोलन से सहानुभूति रखने वालों से अपने को अलग कर लिया था।

इसके बाद बॉर्डर से धार्मिक जज़्बात वाले लोग वापस लौट गए थे। टीकरी बॉर्डर पर और कड़ा स्टैंड लेते हुए धार्मिक झंडे फहराने वालों से झंडे ले लिए गए थे और उन्हें चेतावनी दी गई थी।

यही वजह थी कि धार्मिक समूहों ने अपनी उपस्थिति कम कर दी थी,  जिनकी नौजवानों में पैठ बरकार है। संयुक्त मोर्चे ने इस स्थिति से निपटने के लिए युवा दिवस मनाए जिसमें मंच पर युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई।

संयुक्त मोर्चे का एक धड़ा इन धार्मिक प्रेरित प्रदर्शनकारियों के साथ फिर से मेल जोल बढ़ाने की वकालत  रहा है।

उधर, किसान आंदोलन के 134 दिन पूरे हो गए हैं और क़रीब अब तक 351 किसानों की मौत हुई है लेकिन अभी तक मोदी सरकार ने किसानों की मांगों पर गौर करने की जहमत नहीं उठाई है।

आज, 10 अप्रैल को सरकार को चेतावनी स्वरूप सुबह 8 बजे से 11 अप्रैल सुबह 8 बजे तक KMP-KGP हाईवे को जाम किया गया। इस दौरान कई किसानों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है।

संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान जारी कर कई कार्यक्रमों की घोषणा की, जो इस प्रकार है-

14 अप्रैल को ‘संविधान बचाओ दिवस’ और ‘किसान बहुजन एकता दिवस’ मनाया जाएगा। इस दिन सयुंक्त किसान मोर्चे की सभी स्टेज बहुजन समाज के आन्दोलनकारी चलाएंगे एवं सभी वक्ता भी बहुजन होंगे।

– नफरत एवं बंटवारे की भावना से भाजपा के नेता किसानों व मजदूरों को आपस मे दुश्मन के तौर पर पेश करते हुए हरियाणा में विभिन्न कार्यक्रम कर सकते हैं। हम सभी दलित-बहुजन व किसानों से अपील करते हैं कि शांतमयी रहते हुए इन ताकतों का विरोध करें।

– इस दिन कैथल में हरियाणा के किसान विरोधी उपमुख्यमंत्री ने जानबूझकर एक कार्यक्रम रखा है। हम किसानों व दलित-बहुजनो से अपील करते है कि शांतमयी रहते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर इस कार्यक्रम को रद्द करवाये।

-इस आंदोलन में लोकल लोगों की भागीदारी व उनके समर्पण का सम्मान करते हुए 18 अप्रैल को सभी मोर्चो पर आसपास के लोगों का सम्मान किया जाएगा व उस दिन मंच संचालन का जिम्मेदारी भी लोकल लोगो को दी जाएगी।

-20 अप्रैल को धन्ना भगत की जयंती पर उनके गांव धोआ कलां से दिल्ली की सीमाओं पर मिट्टी लायी जाएगी व उनकी याद में टीकरी बॉर्डर मोर्चे पर कार्यक्रम होंगे।

-24 अप्रैल को इस मोर्चे के 150 दिन होने पर एक हफ्ते के विशेष कार्यक्रम होंगे जिनमें किसानों मजदूरों के साथ साथ कर्मचारी, विद्यार्थी, नौजवान, कारोबारी व अन्य संगठनों को दिल्ली मोर्चा में शामिल होने का आह्वान किया जाएगा।

-अप्रैल के आखिरी सप्ताह में देशभर में किसान आंदोलन को समर्थन देने वाले संगठनों की कन्वेंशन की जाएगी जिसमें इस आंदोलन को देशव्यापी तेज करने की योजना बनाई जाएगी।

संसद मार्च की निर्धारित तारीख का मोर्चे की अगली बैठक में सोच विचार कर ऐलान कर दिया जाएगा

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