ज़बरदस्ती रिटायरमेंट के ख़िलाफ़ सनबीम के 1100 मज़दूर कंपनी कब्ज़ा कर बैठे

trade union counsel protest at gudgaon against farm act

ज़बरदस्ती रिटायरमेंट के ख़िलाफ़ गुड़गांव की सनबीन लाइटवेट सॉल्युशंस कंपनी के 1100 वर्कर टूल डाउन कर मशीन कब्ज़ा करके बैठ गए हैं।

सनबीम वर्कर यूनियन के प्रधान मुकेश ने बताया कि कंपनी मैनेजमेंट ने 25 साल पूरे होने पर 158 परमानेंट वर्करों को रिटायर करने का नोटिस जारी कर दिया और दो दशक पुराने एक स्टैंडिंग ऑर्डर का हवाला दिया है।

उनका कहना है कि 1989 में एक स्टैंडिंग ऑर्डर बना था जिसमें कहा गया था कि सर्विस के 25 साल पूरे होने या 58 साल उम्र पूरा होने, इसमें जो भी पहले हो, मज़दूर को रिटायर किया जाएगा। जिन 158 मज़दूरों को रिटायर करने का नोटिस जारी किया गया जिसमें कईयों की उम्र 55 साल भी नहीं हुई है।

इस बात को लेकर कल शाम 5.30 बजे कंपनी के सभी परमानेंट मज़दूरों ने टूल डाउन कर दिया और कंपनी के अंदर ही मशीनों पर बैठ गए।

मुकेश के अनुसार, कंपनी में  क़रीब 3000 वर्कर काम करते हैं जिनमें 1110 वर्कर परमानेंट हैं। कंपनी गुरुवार शाम से ही बंद है क्योंकि ठेका वर्कर भी तनाव देखते हुए कंपनी से चले गए।

ताज़ा ख़बर ये है कि आज कंपनी में डीएलसी की मध्यस्थता में मैनेजमेंट से यूनियन बॉडी की बातचीत हो रही है। कल रात में भी चार घंटे वार्ता चली थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था।

इस कंपनी में 1997 में यूनियन बनी थी जो इंटक से संबद्ध है। मुकेश का कहना है कि लॉकडाउन के बाद अक्टूबर 2020 में वेतन समझौता होना था वो भी अभी पेेंडिंग है।

वेतन समझौते की नोटिस मैनेजमेंट को दिया जा चुका है लेकिन अभी तक इस पर कोई वार्ता नहीं हुई है।

मुकेश की सर्विस के 15 साल हो चुके हैं लेकिन उनका कहना है कि यूनियन बॉडी के एक दो सदस्यों के नाम भी रिटायरमेंट किए जाने वालों की सूची में शामिल है।

गौरतलब है कि पिछले दो महीने में गुड़गांव से बावल के औद्योगिक क्षेत्र में कई कंपनियों में श्रमिक असंतोष सामने आया। इससे पहले मानेसर के जेएनएस कंपनी में महिला मज़दूरों ने वेतन समझौते को लेकर कंपनी के अंदर कब्ज़ा करके बैठ गए थे। उससे पहले मानेसर के सत्यम ऑटो में वर्कर कंपनी के अंदर धरने पर बैठे थे।

बावल के कीहिन फ़ी में वेतन समझौते को लेकर परमानेंट महिला मज़दूरों को निकाल दिया गया था जिसे लेकर 14 फ़रवरी से ही महिलाएं कंपनी के गेट के बाहर धरने पर बैठ गई थीं।

राजस्थान के नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में स्थित ऑटोनियम कंपनी में मज़दूरों के ट्रांसफ़र और निलंबन को लेकर गतिरोध जारी है।

44 श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर बने चार लेबर कोड एक अप्रैल से लागू होने वाले हैं और उससे पहले औद्योगिक क्षेत्रों में हड़तालों, प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो चुका है।

श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता योगेश का कहना है कि ये लेबर कोड इतने ख़तरनाक हैं कि यूनियन बनाने, हड़ताल करने से लेकर काम के घंटे बढ़ाने, हायर एंड फ़ायर का नियम लागू करने जैसे कामों की कंपनियों को खुली छूट होगी और पहले से ही दरिद्रता और तकलीफ़ में जी रहा मज़दूर वर्ग पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा।

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