गुजरात अम्बुजा में मज़दूरों को कोर्ट से मिली जीत, प्रबंधन की छंटनी की सभी कोशिशें हुई बेकार

gujarat ambuja sitarganj

उत्तराखंड के सिडकुल स्थित गुजरात अम्बुजा कंपनी प्रबन्धन की कोर्ट में एक बार फिर हार हुई है।

मालूम हो कि कोर्ट द्वारा कंपनी को स्टे ऑर्डर दिया गया था कि कंपनी गेट से 200 मीटर की दूरी तक धरना प्रदर्शन करना वर्जित है और 200 मीटर की परिधि में निषेधाज्ञा लगा दी थी।

आंदोलन के दौरान मजदूरों व महिलाओं पर कोर्ट के उक्त आदेश का उल्लंघन कर कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाकर प्रबंधन ने खटीमा कोर्ट मेंआंदोलन कारी मजदूरों व महिलाओं के खिलाफ दो याचिका लगाई थी।

याचिका में प्रबंधन ने कोर्ट से यह भी अपील की थी कि मजदूरों व महिलाओं को जेल भेजा जाये,इसका पूरा खर्चा कंपनी उठाने को तैयार है।

कई तारीखें पड़ने के बाद कोर्ट ने प्रबंधन की याचिका को खारिज कर दिया। इस तरह कंपनी प्रबंधन की कोर्ट में एक बार फिर हार हुई और मजदूर जीत गये हैं।

इससे पहले सितारगंज कोर्ट द्वारा मजदूरों की याचिका पर कंपनी मालिक व प्रबंधन के विरुद्ध मजदूरों के PF मद मे गबन करने पर धोखाधड़ी (धारा 406) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था।

मज़दूरों  ने बताया कि इससे पहले यूनियन द्वारा हाईकोर्ट नैनीताल में यूनियन के संरक्षित श्रमिकों के गैरकानूनी बर्खास्तगी पर लेबर कमीशन द्वारा कार्यवाही न करने और मांगपत्र पर सुनवाई करने को लेकर याचिका लगाई गई थी।

इस पर भी हाईकोर्ट ने तत्काल संज्ञान लिया है और लेबर कमीशन  व लेबर कोर्ट को 4 सप्ताह में कार्यवाही कर कोर्ट को अवगत कराने का आदेश दिया है।

सिविल कोर्ट खटीमा ,सिविल कोर्ट सितारगंज व हाईकोर्ट नैनीताल में मिली उपरोक्त सफलता के लिये रुद्रपुर जिला कोर्ट में मज़दूरों को मिली इस सफलता से गुजरात कामगार यूनियन के अध्यक्ष कैलाश चन्द्र पांडे बेहद उत्साहित है।

उन्होने बताया कि मज़दूरों की इस सफलता में वरिष्ठ एडवोकेट साथी वीरेन्द्र गोस्वामी जी ,खटीमा कोर्ट के एडवोकेट साथी विनोद गहतोड़ी जी व नैनीताल हाईकोर्ट के एडवोकेट साथी DS मेहता जी की अथक मेहनत व कोर्ट में मजदूरों के पक्ष में की गई बेहतरीन पैरवी की बेहद अहम भूमिका रही।

पांडे ने दूसरे कई मज़दूर संगठनों भी सहयोग के लिए धन्यवाद करते हुए कहा कि”यह जीत आप सम्मानित साथियों के भाईचारे व एकजुटता की जीत है जिसने हमें इस योग्य बनाया कि हमारी यूनियन को इस विषम परिस्थितियों में भी लड़ने की हिम्मत व प्रेरणा मिली।”

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