अमेरिकी दबदबे का पतन और ब्रिक्स देशों का उभार, एक बहु ध्रुवीय व्यवस्था की ओर जाती दुनिया

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ब्रिक्स की अध्यक्षता फिलहाल रूस के पास है.

भारत में रूसी संघ के दूतावास के मिशन के उप प्रमुख श्री रोमन बाबुश्किन ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि ” नव संशोधित ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालने के बाद, रूस ने 200 से अधिक बैठकें और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए व्यस्त तैयारी शुरू कर दी है. ये बैठकें तीन समूहों-नीति और सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और संस्कृति एवं मानवीय सरोकारों के अंतर्गत होंगी.”

सामाजिक विज्ञान संस्थान और पीपुल्स फोरम द्वारा आयोजित “ब्रिक्स प्लस के उद्भव और उसके प्रक्षेप पथ’ पर एक चर्चा को संबोधित करते हुए बाबुश्किन ने ब्रिक्स को ‘रूसी विदेश नीति की स्पष्ट प्राथमिकता, किसी भी समझौते से अधिक मजबूत’ बताया.

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उन्होंने बताया कि “अपनी अध्यक्षता के तहत मॉस्को न केवल ब्रिक्स की आर्थिक साझेदारी रणनीति और नवाचार सहयोग कार्य योजना के कार्यान्वयन को बढ़ावा देगा बल्कि स्वास्थ्य सेवा, डिजिटलीकरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एआई और खाद्य सुरक्षा जैसे मानव-केंद्रित क्षेत्रों पर भी जोर देगा.”

इस अवसर पर मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और म्यांमार में भारत के राजदूत के रूप में कार्य कर चुके राजदूत राजीव भाटिया ने कहा कि ” मॉस्को को अपनी अध्यक्षता में आईबीएसए (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) देशों पर अधिक ध्यान देना चाहिए और ब्रिक्स सचिवालय की मेजबानी के लिए भारत की बोली का समर्थन करना चाहिए.”

आगे उन्होंने बताया कि ‘विस्तारित ब्रिक्स को अफ्रीका पर अधिक ध्यान देना चाहिए. हालाँकि उन्होंने ब्रिक्स की अपनी मुद्रा लॉन्च करने की योजना के प्रति आगाह किया.’

इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के निदेशक डॉ. ऐश नारायण रॉय ने कहा कि ‘ ब्रिक्स देशों से भविष्य के कामों, जलवायु न्याय, आर्थिक रूप से निचले तबके को अर्थव्यवस्था से जोड़ने और प्रासंगिक बने रहने के लिए एक नए सामाजिक अनुबंध की दिशा में काम करने का अरुरोध किया. ब्रिक्स अपने बड़े विचारों, रणनीतियों और प्रेरणा से ग्लोबल साउथ का सामूहिक जागरुकता का सपना बन सकता है.”

एक प्रमुख गांधीवादी विचारक श्री राकेश रफीक ने इस अवसर पर अधिकांश वैश्विक दक्षिण पर पश्चिम के सांस्कृतिक वर्चस्व से संबंधित मुद्दों को उठाया.

सामाजिक कार्यकर्ता श्री तरूण कुमार राठी ने कृषि संकट के वैश्विक मुद्दों को उठाया और उम्मीद की कि ब्रिक्स प्लस मध्यम और सीमांत किसानों के हितों को आवाज देगा.

( प्रेस रिलीज के आधार पर)

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