मज़दूरों को वापस बुलाने के लिए दे रहे 2021 तक के वेतन का लालच, महाराष्ट्र में हर दिन 15000 मज़दूरों के लौटने का दावा

मज़दूरों को वापस काम पर बुलाने के लिए कंपनी मालिक 2021 तक वेतन देने का कर रहे हैं वादा, तो कही मज़दूरों को मिल रही है धमकी

पलायन कर चुके मज़दूरों को, कंपनी मालिक वापस बुलाने के लिए अधिक वेतन देने का लालच दे रहे हैं। कई कंपनी के मालिकों ने 2021 तक का वेतन देने का वादा भी किया है।

बॉबी जिंदल नाम के एक फैक्ट्री मालिक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके फैक्ट्री में कंबल, रजाई बनाने का काम होता है और 25 मज़दूर हर विभाग में काम करते हैं।

उन्होंने कहा, “मज़दूरों के पलायन के कारण काम पूरी तरह ठप पड़ गया है। मज़दूर डरे हुए हैं कि कही दोबारा लॉकडाउन हो गया तो उनका क्या होगा, वे इतना जल्दी वापसी नहीं करना चाहते हैं। इसीलिए मैंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि यदी दोबारा से लॉकडाउन होता है तो, मैं उनका खर्च जनवरी 2021 तक पूरा उठाऊंगा। इस प्रस्ताव के कारण कई मज़दूरों ने वापसी की है।”

महाराष्ट्र में मज़दूरों के लौटने का दावा

अचानक बेरोजगार हुए मज़दूरों को घर पहुंचाने में मदद न तो सरकार ने की न कंपनी मालिकों ने की। पर अब उन्हीं मज़दूरों को वासप बुलाने के लिए कंपनी मालिक लालच का सहारा ले रहे हैं।

पर कई एसी कंपनियां भी हैं, जो मज़दूरों को वापस बुलाने के लिए धमका रही हैं।

हरियाणा के गुड़गांव स्थित हीरो मोटर कॉर्प में काम कर रहे एक मज़दूर ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि ‘जो लोग अपने गांव में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए थे, कंपनी प्रबंधन उन्हें फ़ोन कर के धमकाता था और कहता था- मुझे नहीं पता तुम लोग कैसे काम पर लौटोगे, अगर काम पर नहीं आए तो तुम्हें काम से निकाल दिया जाएगा।’

वही दूसरी तरफ महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने दावा किया है कि 15 हज़ार प्रवासी मज़दूर हर दिन मुबंई वापस लौट रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में अनील देशमुख ने बताया की,“लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र से करीब 10 लाख प्रवासी मज़दूर अपने गृहराज्य चले गए थे। पर अब हर दिन 15 हज़ार प्रवासी मज़दूर मुबंई वापस आर रहे हैं, इनकी मदद से अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने में आसानी हगी।”

देशमुख ने आगे कहा, “रेलवे पुलिस बल के जमा किए हुए आकड़ों के अनुसार, मुबंई में हर दिन 11,500 प्रवासी मज़दूर वासप आ रहे हैं। बाकी के मज़दूर कोल्हापुर,गोदिया, पुणे आदि जिलों में जा रहे हैं।’

आठ करोड़ अप्रवासी मज़दूर

अनिल देशमुख ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 1 जून तक प्रवासी मज़दूरों की वापसी केवल 8,000 हजार ही थी पर अब ये आंकड़ा बढ़ कर 15,000 हज़ार पहुंच गया है।

3500 करोड़ रुपये की राशि का एलान करके समय वित्त मंत्री ने दावा किया था कि “राज्य सरकारों से मिले डेटा के आधार पर हमें लगता है कि हमारे यहां 8 करोड़ प्रवासी मज़दूर हैं।”

ये पहला मौक़ा था जब सरकार ने प्रवासी मज़दूरों का कोई आँकड़ा ख़ुद दिया है।

इन आकड़ों को माने तो अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण लाखों मज़दूर रातों-रात बेरोजगार हो गए थे। इन लोगों को पैदल ही अपने घर तक का सफर तय करना पड़ा था।

शोधार्थियों के एक समूह द्वारा एकत्र किए गए डाटा के अनुसार भारत में 19 मार्च से 2 मई के बीच 80 लोगों ने आत्महत्या को गले लगाया है। और 36 लोगों की मौत आर्थिक तंगी, भूखमरी से हुई है।

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