लॉकडाउन के बाद फैक्ट्री दुर्घटनाओ में बढ़ोतरी, 74 मज़दूरों की हो चुकी है मौत

श्रम क़ानूनों के खत्म करने के असर नजर आने लगे हैं। गुजरात में फैक्ट्री दुर्घटना में 130 लोगों की मौत हुई है। आंकड़ा 2020 के सातवें महीने तक का है।

वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, 57 फ़ीसदी मज़दूरों की मौत लॉकडाउन में मिली ढील के समय फैक्ट्री दुर्घटनाओं में हुई है।

श्रम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ऑफिस डायरेक्टर इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड हेल्थ (दीश) के अनुसार, गुजरात में जनवरी और जुलाई माह में कुल 89 फैक्ट्री दुर्घटना हुई है। इसमें 130 मज़दूरों ने अपनी जान गंवाई है।

वहीं अप्रैल और जुलाई माह में 51 फैक्ट्री दुर्घटनाए हुईं, इसमें 74 मज़दूरों की जान गई।

अप्रैल और मई माह में छह मज़दूरों की मौत का आंकड़ा सामने आया है। जून और जुलाई माह में सबसे अधिक मज़दूरों ने जान गंवाई है। जिसमें 18 दुर्घटना हुई जून में 37 मज़दूरों की मौत हुई और जुलाई में 22 मज़दूर शहीद हुए।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, “फैक्ट्री दुर्घटनाओं पर दीश के डायरेक्टर पीएम शाह का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल और जुलाई में कम दुर्घटनाएं हुई हैं।”

लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद सबसे बड़ी फैक्ट्री दुर्घटना गुजरात में हुआ था, गुजरात के दहेज में यशश्वी रसायन प्रा.ली. में जून माह में बॉयलर ब्लास्ट हुआ था इसमें 10 मज़दूरों की मौत हुई थी और 50 मज़दूर घायल हुए थे।

इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद दीश ने कंपनी को केवल बंद ही नहीं किया बल्की दहेज की सभी फैक्टियों में सुरक्षा कारणों की जांच के आदेश भी दिए।

वहीं यशश्वी रसायन प्रा.ली कंपनी के फायर सेफ्टी हेड सहीत सात लोगों पर गैर इरादतन हत्या का मामला भी दर्ज कराया गया।

कथित आरोपियों ने गुजरात हाई कोर्ट से बेल की अपील की थी जिसे कोर्ट ने अगस्त माह में खारिज कर दिया।

वहीं सानंद फैक्ट्री में लगी आग के कारण कोई हताहत तो नहीं हुई पर डायपर बनाने वली जापानी कंपनी जल कर पूरी तरह खाक हो गई थी और आग पर 24 घंटे के बाद काबू पाया गया।

फैक्ट्री दुर्घटनाओं को कम करने के लिए दीश ने खास माह का आयोजन किया है। जिसमें लोगों को सुरक्षित रहने के तरीके बताए जाएंगे।

अगस्त और सितंबर माह में राज्य सरकार के अधिकारी सुरक्षा कारणों का मुआयना करेंगे और सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाएंगे।

फैक्ट्री दुर्घटनाओं को लेकर जागरूकता अभियान चलाते समय मेजर एक्सीडेंट हैजर्ड (एमएएच) का केंद्र बिंदु कैमिकल फैक्ट्रियां रहने वाली हैं।

एमएएच ने 529 कैमिकल फैक्ट्रियों को चिन्हित किया है साथ ही गुजरात की छोटी-छोटी 7,000 फैक्ट्रियों को सूची में शामिल किया है। इसमें भरूच, वडोदरा, अहमदाबाद, सूरत कच्छ और वलसाड जिले शामिल है।

श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार तकरीबन 8.71 करोड़ रुपए मृतक के परिवारों को देना है। जिनकी मौत 2020 फैक्ट्री दुर्घटनाओं में हुई है। इसमें 130 मज़दूरों के परिवार शामिल हैं। लॉकडाउन के कारण मुआवजा देने का काम रूका हुआ है।

शाह कहते हैं, मार्च से अधितकर कोर्ट बंद हैं। मुआवजा लेबर कोर्ट द्वारा मज़दूरों के परिजन को दिया जाना है पर लॉकडाउन के कारण लेबर कोर्ट भी बंद है।

उन्होंने आगे कहा लेबर कोर्ट के बाद मुआवजा देने का काम एम्पलॉई स्टेट इन्शुरन्स कॉर्पोरेशन (ईएसआईसी) का है। वहां पर मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है।

सानंद कंपनी के प्रेसिडेंट अजीत शाह ने बताया कि, “पिछले छह साल से वे फायर सेफ्टी की मांग कर रहे हैं पर, सरकार द्वारा अभी तक मुहैया नहीं कराया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “पूरे अहमदाबद के औद्योगिक इलाकों में आग न लगे ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। क्योंकि ये मैनुफैक्चरिगं हब है।”

फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों का कहना  है कि गुजरात में बहुत फैक्ट्रियां है ऐसे में सरकार द्वारा चलाया जाने वाला सुरक्षा अभियान क्या सब के पास पहुंच पाएगा।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पिछले दो सालों में गुजरात में फैक्ट्री दुर्घटनाओं में कमी आई है। 2017 में 230 फैक्ट्री दुर्घटनाएं हुई हैं और 2018 में 236 वहीं 2019 में ये आंकड़ा 188 पर रुक गया।

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