दलित मज़दूर कार्यकर्ता शिव कुमार से पुलिस ने टॉयलेट साफ़ कराए, पिता ने लगाए टॉर्चर के गंभीर आरोप

shiv kumar

मज़दूर अधिकार संगठन के श्रमिक कार्यकर्ता शिव कुमार को कुंडली थाने की पुलिस ने बुरी तरह पिटाई की और पुलिस स्टेशन के टॉयलेट साफ़ कराए।

ये आरोप शिव कुमार के पिता राजबीर ने लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ‘दलित पृष्ठभूमि से आने के कारण पुलिस अधिकारियों का रवैया बहुत अपमानजनक रहा और बुरी तरह टॉर्चर करने के पीछे ये बड़ा कारण रहा है।’

शुक्रवार की रात जेल से रिहा नौदीप कौर शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर पहुंचीं थीं, जिनसे मिलने के लिए राजबीर भी आए हुए थे।

राजबीर ने वर्कर्स यूनिटी ख़ास बातचीत करते हुए कहा कि शिव कुमार की गिरफ़्तारी का उन्हें 15 दिन बात चला जब उसके एक दोस्त ने फ़ोन करके इसकी इत्तला दी।

मालूम हो कि कोर्ट के आदेश पर सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच),चंडीगढ़ की मेडिकल रिपोर्ट में डॉक्टरों ने कहा है कि शिव कुमार के साथ जेल में मारपीट की गई है और उनके शरीर में गंभीर चोटों के निशान मिले हैं।

शिव कुमार के पिता ने बताया कि “शिव को कुंडली थाने की पुलिस ने 16 जनवरी को उठाया लेकिन परिवार वालों को 31 जनवरी तक उनकी कोई जानकारी नहीं थी। हमने अपने स्तर से उसे खोजने की कोशिश की, फोन न होने की वजह से उससे संपर्क भी नहीं हो पा रहा था। हमें लगा वो सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन स्थल पर होगा। हमें 31 को पता चला कि उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।”

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शिव कुमार को 16 जनवरी से 31 जनवरी तक पुलिस ने कहां रखा इसकी किसी को जानकारी नहीं थीं  दावा किया जा रहा है कि इस दौरान शिव को पुलिस द्वारा बुरी तरह टार्चर किया गया है।

इस सवाल पर कि क्या शिव ने उन्हें पुलिस द्वारा प्रताड़ित किये जाने के बारे में कुछ बताया हैं,  राजबीर ने कहा कि ‘मैं परेशान न हो जाउंगा ये सोच कर वो मुझे कुछ बताने से बचता है लेकिन अखबार की खबरों से हमें पता चला कि उसके साथ पुलिस ने किस तरह का व्यावहार किया है।

पेशे से खेतिहर मज़दूर राजबीर का कहना है कि “परिवार अभाव में ही रहा है उसके बावजूद शिव ने मज़दूरी करने के साथ-साथ मज़दूरों के अधिकारों के लिए लड़ रहा है। मज़दूरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला अपराधी हो जाता है और मज़दूरों का पैसा दबाए लोग ठाठ से जिंदगी गुजार रहे हैं। ये कैसा न्याय है। मेरे बच्चे का क्या अपराध था जो उसे इतनी बुरी तरह से पीटा गया।”

वो कहते हैं, “पांच भाई बहनों में शिव कुमार दो भाईयों के बाद आते हैं। घर में कोई खेती नहीं है। मैं खुद खेत मज़दूरी करता हूं। शिवकुमार पढ़ना चाहते थे लेकिन पैसे की तंगी की वजह से फ़ैक्ट्री में काम करना पड़ा। इसी दौरान वो मज़दूरों के हालात को देख कर मज़दूर अधिकारों के संघर्ष में शामिल हो गए।”

राजबीर बताते हैं कि शिव कुमार को एक आंख से दिखाई नहीं देता है, फिर भी वो आगे पढ़ने की लगातार कोशिश करते रहे।

गौरतलब है कि 10 जनवरी को नवदीप कौर को गिरफ़्तार किया गया और उसके ठीक एक हफ़्ते बाद ही शिव कुमार को भी गिरफ़्तार कर लिया गया था।

राजबीर ने बताया कि शिव कुमार ने उन्हें बताया कि थाने में पुलिस वालों ने उनसे टॉयलेट साफ कराया।

क्या वो लोग पुलिस वालों के इस कृत्य पर किसी तरह की कोई जवाबी केस करने का सोच रहे हैं, शिव कुमार के पिता ने बताया फिलहाल वो शिव की जमानत को लेकर चिंतित हैं।

नवदीप और उनके संगठन के ही शिव कुमार को पुलिस ने फैक्ट्री मालिकों से जबरन उगाही का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया था।

नवदीप का कहना है कि लॉकडाउन में कंपनी से निकाले गए मज़दूरों के बकाए पैसे को लेने के लिए वो महीनों से अभियान चला रहे हैं और इसी सिलसिले में 10 जनवरी को कुंडली औद्योगिक क्षेत्र की एक फ़ैक्ट्री के सामने इकट्ठा हुए थे।

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