70 करोड़ देने को तैयार हैं रोडवेजकर्मी 

By दीपक भारती

हरियाणा के हड़ताली रोडवेज कर्मचारी प्रदेश सरकार को 70 करोड़ रुपए देने को तैयार हैं।

कर्मचारी अपना तीन साल का बोनस और एक माह का वेतन देकर सरकार का घाटा दूर करने को तैयार है।

उल्लेखनीय है कि खट्टर सरकार 720 निजी बसों को हरियाणा रोडवेज़ के बेड़े में शामिल करने की इजाजत दे दी है।

सरकार का तर्क है कि रोडवेज़ घाटे में है और 600 करोड़ रुपये के घाटे को पूरा करना सरकार के बस की बात नहीं है।

जबकि कर्मचारी निजी बसों का संचालन रोकना चाहते हैं।

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हरियाणा रोडवेज़ कर्मचारियों की हड़ताल। फोटो साभार

कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार रोडवेज के घाटे में होने का झूठा बहाना बना रही है।

यदि सरकार घाटे के कारण प्राइवेट बसों का संचालन करने पर आमादा है तो हम 20 हजार कर्मचारी अपना तीन साल का बोनस और एक माह का वेतन सरकार को देने को तैयार हैं जो करीबन 70 करोड़ रुपया होगा।

सरकार पर लगाया महाघोटाले का आरोप

कर्मचारियों का कहना है कि 720 प्राइवेट बसें सरकार किराए पर लेने जा रही है।

इन बसों का औसत प्रति किलोमीटर किराया 40 रुपया भुगतान किया जाना है।

यदि रोजाना के हिसाब से देखें तो प्रत्येक बस 450 किलोमीटर यात्रा करेगी, जिनका भुगतान 18 हजार रुपए किया जाना है।

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हरियाणा रोडवेज़ कर्मियों की हड़ताल।

इस लिहाज से देखें तो 720 बसों का रोजाना भुगतान सरकार की ओर से सवा करोड़ रुपए रोज किया जाएगा।

यदि सालाना भुगतान देखा जाए तो यह राशि 4 अरब 73 करोड़ रुपए के आसपास होता है।

जबकि एक प्राइवेट बस की कीमत 18 लाख रुपए होता है, जिनकी कुल आयु 10 साल होती है।

यदि इन 10 वर्षों में किए गए भुगतान को जोड़ दिया जाए तो सरकार तकरीबन 26 हजार नई बसें खरीद सकती है।

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सांकेतिक तस्वीर

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने किया समर्थन

धरना स्थल पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर, कांग्रेसी नेता गजे सिंह कबलाना, पंकज डाबर समेत सैकड़ों लोग पहुंचे। इस मौके पर तंवर ने कहा कि कर्मचारियों के हर सहयोग के लिए कांग्रेस उनके साथ खड़ी है।

उन्होंने कहा कि इस सरकार में मजदूर वर्ग, किसान, युवा सभी परेशान हैं।

कांग्रेस की सरकार आने के बाद कर्मचारियों की सभी मांगें पूरी की जाएंगी।

तालमेल कमेटी  के पदाधिकारी ओमवीर शर्मा ने कहा कि सरकार ने जिद्दी रवैया अपना रखा है। कर्मचारी लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगें रख रहे हैं। यह लड़ाई रोडवेज को बचाने की लड़ाई है।

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