क्या भारत सरकार इजराइल में नौकरी ढूंढने वाले मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सही कदम उठा रही है ?

श्रमिक कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियनों ने इज़राइल में नौकरियों के लिए भारतीय मज़दूरों की भर्ती के संबंध में चिंता जताई है.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा में श्रम विभाग के अधिकारी विभिन्न कामों के लिए आवेदकों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियनों का तर्क है कि भारत सरकार विदेश में संघर्षरत क्षेत्रों में जाने वाले भारतीय मज़दूरों के लिए सामान्य सुरक्षा को नजरअंदाज कर रही है.

अखबार ने बताया कि इन मज़दूरों को विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा संचालित ‘ई-माइग्रेट’ पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करने की भी आवश्यकता नहीं होगी. इसमें कहा गया है कि कई सरकारी मंत्रालयों और एजेंसियों ने मज़दूरों के कल्याण और सुरक्षा के लिए किसी भी जिम्मेदारी से इनकार कर दिया है.

दिसंबर में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इज़राइल में नौकरी के लिए निर्माण मज़दूरों से आवेदन आमंत्रित किए थे.
सरकार की योजना संघर्ष प्रभावित देश में कम से कम 10,000 मज़दूरों को भेजने की है. मज़दूरों का चयन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा किया जाएगा.

ख़बरों कि माने तो ये नौकरियां लगभग 1.37 लाख रुपये प्रति माह के आकर्षक वेतन का वादा करती हैं, लेकिन संविदात्मक सुरक्षा पर विवरण का कोई भी जिक्र नहीं किया गया है.

आवास, भोजन और चिकित्सा बीमा की लागत वेतन से काट ली जाएगी. इसके अलावा मज़दूरों को वहां जाने के लिए अपने टिकट का इंतज़ाम भी खुद ही करना है.

इसके साथ ही आधिकारिक दस्तावेज बताते है कि एनएसडीसी सुविधा शुल्क के रूप में प्रति कर्मचारी 10,000 रुपये भी ले रहा है.

मज़दूर कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस कदम को अमानवीय बताया है और कहा है कि गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायली कार्रवाई जारी रहने के बावजूद भारतीय निर्माण मज़दूरों , नर्सों और देखभाल करने वालों की भर्ती में तेजी लाने का सरकार का निर्णय उन्हें नुकसान पहुंचाएगा.

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) की महासचिव अमरजीत कौर ने द हिंदू से बात करते हुए कहा कि ” सरकार का यह कदम कानून के खिलाफ है.हम इसराइल में युद्धविराम के पक्ष में हैं. हम श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. सरकार अगर ये फैसला वापस नहीं लेती तो सभी ट्रेड यूनियन अब अदालतों का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं.”

द हिंदू के अनुसार “ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार इस मामले पर जिम्मेदारी टाल रही है. कई सरकारी एजेंसियों ने औपचारिक रूप से एनएसडीसी इंटरनेशनल के नाम से जारी दस्तावेजों से खुद को दूर कर लिया है, लेकिन सरकारी सूत्रों ने पुष्टि की है कि भर्ती प्रक्रिया इस सप्ताह कई शहरों में साक्षात्कार और स्क्रीनिंग के साथ शुरू होगी.”

इस सम्बन्ध में एनएसडीसी के मुख्य कार्यकारी वेद मणि तिवारी ने द हिंदू को बताया कि ‘ विज्ञापन राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए थे, एनएसडीसी द्वारा नहीं. हम कोई भर्ती कंपनी नहीं हैं. कुछ राज्य सरकारों ने इज़राइल में नौकरियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं और हमारा काम श्रमिकों के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है.”

केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने योजनाओं पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हरियाणा के श्रम मंत्री अनूप धानक ने भी इस सम्बन्ध में बात करने पर कुछ कहने से इंकार कर दिया. ने भी। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह विदेश मंत्रालय है जो श्रमिकों के ऐसे प्रवासन की निगरानी करता है।”

उधर विदेश मंत्रालय ने भी द हिंदू द्वारा भेजे गए सवालों की एक विस्तृत सूची का जवाब देने से इनकार कर दिया.

द हिन्दू ने विदेश मंत्रालय को भेजे अपने सवालों में पूछा कि ” इजरायली श्रम एजेंसी जिसे पीआईबीए के नाम से जाना जाता है, से किस तरह के आश्वासन का अनुरोध किया जा रहा है.अधिकारियों ने कहा कि भर्ती “बी2बी” या बिजनेस-टू-बिजनेस व्यवस्था के रूप में हो रही थी, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वास्तव में मज़दूरों के अंतिम भाग्य के लिए कौन जिम्मेदार होगा.”

वर्तमान में संघर्ष क्षेत्रों या पर्याप्त श्रम सुरक्षा के बिना स्थानों पर जाने वाले सभी श्रमिकों को विदेश मंत्रालय के ‘ई-माइग्रेट’ पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है. हालाँकि इज़राइल संघर्ष क्षेत्रों के लिए ‘ई-माइग्रेट’ प्रणाली का हिस्सा नहीं है.

दैनिक अखबार के अनुसार इजरायली आव्रजन एजेंसी पीआईबीए ने मज़दूरों के कल्याण के बारे में विशिष्ट सवालों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. लेकिन सूत्रों ने कहा कि वे भारत सरकार के साथ हस्ताक्षरित समझौते के आधार पर आगे बढ़ेंगे.

Do read also:-

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

Subscribe to support Workers Unity – Click Here

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.