भारत सरकार के पूर्व सचिव: ईवीएम तकनीक बनाने वाली कंपनी बीईएल के बोर्ड में शामिल हैं भाजपा के कई नेता

EVM Tracking

भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस सरमा ने भारत चुनाव आयोग को पत्र लिखकर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बोर्ड से भाजपा से जुड़े निदेशकों को हटाने का आग्रह किया है.

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बोर्ड ईवीएम तकनीक बनाने वाली कंपनी है.

चुनावों में उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति के मार्गदर्शन में बीईएल और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा देश में स्वदेशी रूप से बनाई जाती हैं.

सरमा ने कहा कि उन्होंने आयोग का ध्यान इस ओर दिलाया है कि कैसे बीईएल जो ईवीएम के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करता है, के लिए स्वतंत्र निदेशक मंडल के पद के लिए कम से कम चार भाजपा उम्मीदवारों का चयन किया गया है.

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि “ एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की बीईएल के मामलों को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका है. जिससे यह अपरिहार्य निष्कर्ष निकलता है कि भाजपा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र बीईएल के कामकाज की निगरानी करती रहती है. ये एंटरप्राइजेज ईवीएम के निर्माण और आपूर्ति में निकटता से लगा हुआ है, जिसमें ईवीएम के मूल को बनाने वाले चिप्स में एम्बेडेड गुप्त (एन्क्रिप्टेड) स्रोत कोड का विकास भी शामिल है. मेरे द्वारा कुछ समय पहले इस तथ्य को चुनाव आयोग के ध्यान में लाने के बावजूद अभी तक चुनाव आयोग ने इस पर कोई करवाई नहीं किया है. ”

4 निदेशक भाजपा से जुड़े हैं

सरमा ने आगे कहा कि “कंपनी अधिनियम कहता है कि एक स्वतंत्र निदेशक को कंपनी के मामलों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. कुल सात स्वतंत्र निदेशकों में से कम से कम चार- मनसुखभाई शामजीभाई खाचरिया, डॉ. शिवनाथ यादव, श्यामा सिंह और पीवी पार्थसारथी भाजपा पार्टी से जुड़े हुए हैं.”

खाचरिया राजकोट जिले में भाजपा अध्यक्ष के पद पर हैं, जबकि शिवनाथ यादव उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष थे. श्यामा सिंह बिहार में भाजपा के उपाध्यक्ष के रूप में काम कर चुकी हैं और पीवी पार्थसारथी भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव हैं.

पार्थसारथी ने आंध्र प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया है और वह तिरूपति लोकसभा सीट के उपचुनाव के लिए विधानसभा प्रभारी थे.

सरमा ने आगे कहा कि ” हालांकि मेरा किसी भी तरह से श्री खंचरिया की साख पर सवाल उठाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन क्या आयोग को भाजपा के एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी को बीईएल के बोर्ड में ‘स्वतंत्र’ निदेशक के रूप में नामित किया जाना बेहद आपत्तिजनक नहीं लगता है? ”

सरमा ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग अब तक ईवीएम के खिलाफ उठाए गए सवालों का समाधान करने में विफल रहा है. चुनाव आयोग का अभी तक का रवैया हठ वाला ही है, वो EVM को देवता बनाने पर तुला है. कई देशों ने ईवीएम का उपयोग बंद कर दिया है और हमारे देश में भी इसमें लगातार गड़बड़ी की शिकायत मिलती रहती है.आयोग ने ईवीएम के वोटों की गिनती को कागजी मतपत्रों के साथ सत्यापित करने की सार्वजानिक मांग से इंकार कर दिया है.”

“आयोग स्वयं ही स्वीकार करता है कि वो बिना टोटलाइज़र के ईवीएम का उपयोग कर रहा है. जो एक निर्वाचन क्षेत्र में विभिन्न बूथों के बीच मतपत्रों के मिश्रण को रोकता है, जिससे बूथ-स्तरीय मतदान की गोपनीयता की अनिवार्य आवश्यकता का उल्लंघन होता है.”

हाल ही में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि “ईवीएम मशीनों और वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) में हेरफेर की संभावना है.”

रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने टेक्निकल एक्सपर्ट अतुल पटेल की मदद से ईवीएम से कैसे छेड़छाड़ की जा सकती है, इसका डेमो किया. मशीन में खराबी दिखाने के लिए पटेल ने एक चुनाव चिन्ह तरबूज के लिए दो वोट डाले. मशीन पर तरबूज का बटन दबाने के बावजूद वीवीपैट की पर्ची पर सेब का निशान आ गया.

उधर चुनाव आयोग ने कथित तौर पर इन आरोपों का खंडन किया था और दावा किया था कि ईवीएम को कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है. यह किसी अन्य नेटवर्क से जुड़ा नहीं है, जो इसे हैक होने से बचाता है.

सरमा ने अपने पत्र का अंत यह कहते हुए किया कि ” यदि आयोग को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी भूमिका के लिए कोई सम्मान है, तो उसे स्पष्ट रूप से भाजपा से जुड़े अधिकारियों को बीईएल के बोर्ड से हटाना चाहिए.”

(द न्यूज़ मिनट की खबर से साभार)

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