संकट से निपटने को मजदूर वर्ग के पांच सुझाव, भाजपा आईटी सेल चाहे तो इनके खिलाफ भी दुष्प्रचार करे

migrant worker

By आशीष सक्सेना

1- पूरे देश की स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण किया जाए और सबको मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएं।

कारण – शहर से देहात में लाखों मजदूर पलायन कर चुके हैं। लाखों मजदूर ऐसे हैं जिनके पास गांव जैसा कोई आसरा नहीं है और वे शहरों में ही दुत्कारे जा रहे हैं। उनको कोई भी तकलीफ होने पर अनाधिकृत चिकित्सकों के सहारे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। देहात में हर ग्राम पंचायत पर हेल्थ सेंटर बनाए जाएं और अनाधिकृत चिकित्सकों को मल्टी परपज हेल्थ वर्कर की श्रेणी में रखकर स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएं। नियमित रूप से उनकी निगरानी जिला मुख्यालय स्तर से हो। शहरों और कस्बों में निजी अस्पतालाओं को सरकारी ढांचे के तहत लाकर मुफ्त सेवाएं दी जाएं।

2- सभी उत्पादन और सेवा इकाइयों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।

कारण- कोरोना वायरस संक्रमण रोकने को उठाए गए सरकारी कदमों से बेरोजगारी का भीषण संकट पैदा हो गया है और सीआईआई के सर्वे में कहा जा रहा है कि लाभ घटने की वजह से 54 प्रतिशत नौकरियां समाप्त हो जाएंगी। चूंकि निजी उद्योग लाभ हानि के आधार पर उत्पादन और रोजगार मुहैया कराते हैं, जबकि लोगों को रोजगार के साथ ही उन उत्पादों की भी जरूरत है, जिसको बगैर मुनाफे के भी मुहैया होना जरूरी है।

3- कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीयकरण और सामूहिक फार्म की स्थापना

कारण- बड़ी संख्या में लोग गांवों में हैं, लेकिन उनकी आदत अब सामूहिक तरीके से आधुनिक उत्पादन करने की है। लिहाजा, सभी बड़े फार्म को सरकारी स्तर पर संचालित किया जाए। इसके सामूहिक फार्म बनाकर खेती कराई जाए। इसको भारत रत्न बाबा साहेब आंबेडकर के प्रस्ताव के आधार पर शुरू किया जा सकता है, जिसको कभी संसद में पेश ही नहीं किया जा सका।

4- निजीकरण की नीति को रद किया जाए, जिन उपक्रमों को निजी हाथों में दिया गया, उनका पुन: राष्ट्रीयकरण किया जाए।

कारण- संकट के समय ये साबित हो गया कि जैसे भी हाल में सही, जनता की भरोसेमंद सेवा सरकारी उपक्रमों ने ही की है और वे ही कर सकते हैं। रेलवे से लेकर एयर इंडिया तक इसके उदाहरण बने हैं। सरकारी अस्पताल और उनका स्टाफ बिना सुविधाओं के जोखिम उठाकर सेवाएं दे रहा है।

5- मजदूरों, भूमिहीनों, गरीब किसानों का कर्ज माफ किया जाए और एनपीए करने वाले सभी निजी उपक्रमों और उनके संचालकों की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण किया जाए।

कारण- संकट की घड़ी में सबसे बदहाली में मजदूर, भूमिहीन और गरीब किसान ही हैं और वे ही देश की संपत्ति के लिए पसीना बहाते हैं। उनकी मेहनत से ही देश दोबारा तरक्की की राह पर दौड़ेगा, इसलिए उनको कर्ज से मुक्त किया जाना जरूरी है। वहीं, बैंक के लाखों करोड़ रुपये के कर्जों को बट्टे खाते में डालने वाले उद्योगपति पूरे आनंद के साथ हैं और वे मुनाफा बटोरने की हर जुगत में अभी भी लगे हैं।

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