योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट, बिना कहे सुने किसी को भी जेल भेज दो

श्रम कानूनों में बदलाव, सरकारी नौकरियों को संविदा में भर्ती की तैयारी, कानून व्यवस्था की असफलताओं के बीच उत्तरप्रदेश में विशेष सुरक्षा बल के गठन को मंजूरी दे दी गई है। अपर मुख्य सचिव के रविवार रात कई ट्वीट से ये जानकारी लोगों तक पहुंची। जिसमें ये भी बताया गया कि ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

ट्वीट और मीडिया में आई खबरों के मुताबिक विशेष सुरक्षा बल के पास बिना वारंट किसी की भी तलाशी लेने और गिरफ्तारी का अधिकार होगा। अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी के हवाले से ट्वीट में बताया गया है कि राज्य में उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल अधिनियम 2020 को लागू किया गया है।

यह फोर्स उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट, जिला अदालतों, प्रशासनिक कार्यालय एवं परिसर, तीर्थ स्थल, मेट्रो, हवाईअड्डों, बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, औद्योगिक संस्थान आदि की सुरक्षा व्यवस्था करेगा।

इस फोर्स गठन पर वेतन भत्तों समेत लगभग 1747.06 करोड़ रुपये खर्च होगा। फिलहाल इस बल में 9,919 कर्मी कार्यरत होंगे। पहले चरण में पांच बटालियन का गठन प्रस्तावित हैं। बटालियन के गठन को कुल 1,913 नए पदों का सृजन किया जाएगा।

ट्वीट में ही ये बताया गया है कि बल का कोई भी सदस्य मजिस्ट्रेट के किसी भी आदेश और वारंट के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। विशेष बल का मुख्यालय लखनऊ में होगा और इसका नेतृत्व एडीजी स्तर का अधिकारी करेगा। कुछ अरसे पहले, 26 जून को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए योगी कैबिनेट ने इस सुरक्षाबल के गठन की मंजूरी दी थी।

क्या प्राइवेट कंपनियां भी लेंगी नए बल की सेवाएं?

नए गठित होने वाले की भूमिका केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल जैसी होगी, जैसा कि उसके तैनाती के स्थलों को बताया जा रहा है। हालांकि, स्पष्ट रूप से ये नहीं बताया गया है कि क्या ये बल सिर्फ सरकारी प्रतिष्ठानों को सेवाएं देगा या निजी को भी। इस बात को लेकर अभी अनुमान लगाए जा रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता सतीश कुमार का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो निजी कंपनियों के लिए ये अकूत ताकत वाला बल नकारात्मक भूमिका भी निभा सकता है। मसलन, किसी निजी उपक्रम में शोषण का विरोध होने पर बिना वारंट गिरफ्तारी जैसा कदम उठाया जा सकता है। इसी तरह सरकार की किसी नीति के विरोध के समय भी इस बल का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो कि लोकतांत्रिक अधिकारों को चोट पहुंचाएगा।

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