मज़दूरों के 30,000 करोड़ रुपये भी नहीं बांट पाई मोदी सरकार, राहत पैकेज की उम्मीद भी नहीं

भले ही मोदी सरकार कुछ भी दावे करे लेकिन उसके आंकड़े बताते हैं कि मज़दूरों के लिए जमा कोश का एक चौथाई पैसा भी मज़दूरों के खातों में सरकार ने नहीं डाला है।

बिज़नेस स्टैण्डर्ड की एक ख़बर के अनुसार, कोरोना के कारण लागू देश व्यापी लॉकडाउन के समय सरकार निर्माण मज़दूरों के कल्याण के लिए जमा राशि का केवल 16 प्रतिशत ही मज़दूरों के खातों में जमा कर पाई है।

ग़ौरतलब है कि निर्माण मज़दूरों के कल्याण के लिए सरकार ने निर्माण कंपनियों पर टैक्स लगाकर 31,000 करोड़ रुपए इकट्ठा किया था।

इस राशि में से केवल 5000 करोड़ रुपया ही निर्माण मज़दूरों के ख़ातों में डाला गया और रजिस्टर्ड निर्माण मज़दूरों में केवल एक तिहाई मज़दूरों को ही लाभ मिल पाया है।

अख़बार के अनुसार, छत्तीसगढ़, झारखंड ने अभी तक एक रुपया भी ट्रांसफर नहीं किया है। जबकि इस सेवा का लाभ उठाने के लिए चार लाख दिहाड़ी मज़दूरों ने पंजीकरण कराया था।

इस देश में लगभग 55 लाख दिहाड़ी मज़दूर पंजीकृत हैं। सरकार ने इसमें से केवल 18 लाख दिहाड़ी मज़दूरों के खाते में पैसे डाले हैं।

उत्तरप्रदेश जैसै बड़े राज्यों ने सबसे अधिक कैश ट्रांसफर किया है। इसमें ओड़िसा और तमिलनाड़ु का नाम भी शामिल है।

सरकार ने मंगलवार को स्वीकार करते हुए कहा कि, ‘बहुत से दिहाड़ी मज़दूरों को इस सेवा का लाभ नहीं मिला है। उनके लिए हम फिर से पंजीकरण कराने का एक अभियान शुरु कर रहे हैं।’

उल्लेखनीय है कि जबसे लॉकडाउन हुआ है और करोड़ों लोगों की नौकरियां गई हैं, मोदी सरकार पर मज़दूरों के खातों में पैसे डालने की मांग बढ़ी है।

प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने तीन महीने तक मज़दूरों के ख़ाते में 7-10 हज़ार रुपये डालने की मांग की, लेकिन मोदी सरकार के कान पर अभी तक जूं नहीं रेंगी है।

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