जेएनएस की हड़ताली महिला मज़दूरों को मैनेजमेंट ने दिया हफ़्ते भर का समय

Women workers JNS Manesar

बीते सोमवार से कंपनी के अंदर हड़ताल पर बैठी मानेसर के सेक्टर-3 स्थित जेएनएस ऑटो पार्टस मेकर की महिला मज़दूरों के सामने मैनेजमेंट ने अगले एक सप्ताह में मामले के समाधान का प्रस्ताव रखा है।

मज़दूरों की अगुवाई कर रही रिंकी कुमारी ने वर्कर्स यूनिटी के साथ फोन पर बात करते हुए कहा कि “मैनेजमेंट की तरफ से हमें प्रस्ताव मिला है कि कंपनी अगले एक सप्ताह में श्रम अधिकारी की उपस्थिती में बातचीत कर मामले का समाधान चाहती है। लेकिन मैनेजमेंट के पुराने रैवये की वजह से हम फिलहाल इस प्रस्ताव पर अपने साथियों के साथ विचार करेंगे, तभी कोई निर्णय लिया जायेगा।”

हालांकि ये भी अपुष्ट ख़बर आ रही है कि मंगलवार को शाम तीन बजे वर्करों ने मैनेजमेंट के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और वापस काम पर लौट गए हैं।

बताया जा रहा है कि इस बात पर दोनों पक्षों में सहमति बनी है कि हड़ताल के दिन का पैसा नहीं काटा जाएगा और जल्द से जल्द मांग पत्र पर वार्ता की जाएगी।

मालूम हो कि इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र से लगातार मज़दूरों के प्रतिरोध की खबरें आ रही हैं। विभिन्न कंपनियों के मज़दूरों का कहना है कि लॉकडाउन की आड़ लेते हुए कंपनियों  ने वर्करों की सुविधाओं में कटौती, वेतन समझौता न करना, मनमाने तरीक़े से छंटनी कर रही हैं, जिसकी वजह से पूरे औद्योगिक इलाके में भारी श्रमिक असंतोष पनप रहा है।

मानेसर औद्योगिक क्षेत्र स्थित जेएनएस कंपनी में परमानेंट वर्कर बहुत कम हैं और अधिकांश महिला मज़दूर हैं। मज़दूरों की अगुवाई करने वाली रिंकी कुमारी ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि कंपनी में क़रीब 1400 वर्कर काम कर रहे हैं जिनमें क़रीब दो तिहाई महिला मज़दूर हैं।

बीते सोमवार सुबह महिला मज़दूर उस वक्त हड़ताल पर बैठ गई जब मैनेजमेंट लगातार उनकी मांगों को अनसुना कर रहा था।

महिला मज़दूरों ने बताया कि डिमांड नोटिस के बाद से ही मैनेजमेंट हरसंभव तरीके से मज़दूरों को परेशान कर रही है।

महिला मज़दूरों  ने बताया कि” बीते रात 9 बजे  भी हमारी मैनेजमेंट के साथ बातचीत हुई लेकिन वो अपने अड़ियल रुख पर कायम हैं। एक तरफ कंपनी हमारे साथ बातचीत का प्रस्ताव दे रही है और दुसरी तरफ पिछले दरवाजे से नये मज़दूरों की भर्ती भी कर रही हैं।”

रिंकी कुमारी ने बताया कि मैनेजमेंट लंबे समय से वेतन समझौते संबंधी मामले पर बातचीत करने को तैयार नहीं हो रही है। हमारी मांगों को लगातार अनसुना कर रही है। डिमांड नोटिस के बाद से ही मैनेजमेंट हरसंभव तरीके से मज़दूरों को परेशान कर रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि छह सात महीने पहले यूनियन बनाने की फ़ाइल लगाई गई थी, तबसे मैनेजमेंट वर्करों को परेशान कर रहा है। कंपनी में अभी तक कोई यूनियन नहीं है और परमनेंट वर्कर भी महज 45 के क़रीब हैं, जिनमें आधी लड़कियां हैं।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.