खट्टर सरकार के नए नियम से गुड़गांव की कंपनियों में मच सकती है भगदड़- विशेषज्ञों की राय

बीते 2 मार्च को हरियाणा सरकार ने विधानसभा में एक बिल पारित किया जिसके तहत हरियाणा में निजी क्षेत्र की वैसी नौकरियां जिनका मासिक वेतन 50 हजार या उससे ज्यादा होगा, उसकी 75 प्रतिशत सीटें हरियाणा के लोगों के लिए आरक्षित रहेंगी।

बिल के अनुसार, आरक्षण कानून नहीं मानने वाली कंपनियों पर जुर्माना भी लगाने का प्रावधान होगा। यह कानून निजी कंपनियों,फर्म,ट्रस्ट आदि में लागू होगा यानी मारुति, हीरो, होंडा और उनकी कंपोनेंट मेकर कंपनियों पर भी लागू होगा।

सरकार के इस फैसले के बाद कई उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाणा सरकार के आरक्षण संबंधी इस कानून का गुड़गांव में काम कर रही हर सेक्टर की कंपनियों पर बुरा प्रभाव पड़ने वाला है और उच्च लागत के कारण कंपनियों के नोएड़ा शिफ्ट होने की संभावना बढ़ जायेगी।

रियल एस्टेट डेवलपर्स और इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के मुताबिक, इस कानून से गुरुग्राम के बाजार में ऑफिस स्पेस और रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी दोनों प्रभावित होंगी।  कोविड-19 महामारी के बाद थोड़ा संभल रहा बाज़ार सरकार के इस फैसले से एक बार फिर पीछे जायेगा।

नोएडा पिछले कुछ महीनों में एनसीआर क्षेत्र में कंपनियों को ऑफिस स्पेस मुहैया कराने के मामले में  गुरुग्राम से आगे निकल गया था और हरियाणा सरकार के इस कदम के बाद उसके और आगे बढ़ने की उम्मीद है।

लुमोस कंसलटेंसी के प्रबंध निदेशक अनुरंजन मोहनोट ने कहा ” भारत के कई शहर अत्यधिक प्रतिभाशाली और कड़ी मेहनत से काम कर रहे आप्रवासियों के कारण फला-फूला है। निजी क्षेत्र में स्थानिय श्रमिकों के लिए आरक्षण होने की बढ़ती प्रवृत्ति भारत के कई शहरों में आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्र की अचल संपत्ति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।”

उन्होंने बताया कि  “हालांकि न्यायपालिका अंततः इस तरह के कानून की संवैधानिकता पर फैसला करेगी, लेकिन ऐसे प्रस्तावों से भारत में कारोबार करना मुश्किल होता जायेगा।”

मोहनोट ने आगे कहा, यह आईटी जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रभावित कर सकता है, साथ ही ‘ एक राष्ट्र, एक बाजार ‘ की सरकार की अपनी नीतियों पर भी सवाल उठाता है ।

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