असम: माओवादी लिंक बता मज़दूर नेता धरित्री शर्मा को किया गिरफ़्तार, NTUI ने बताया उत्पीड़न

न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव (NTUI) ने असम मजूरी श्रमिक यूनियन (एएमएसयू) के कछार जिला सचिव धरित्री  शर्मा को  गुवाहाटी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने की कड़ी निंदा की है और उन्हें बिना शर्त रिहा किये जाने की मांग की है।

गुवाहाटी पुलिस ने धरित्री शर्मा को माओवादी संगठन से कथित  संबंध का आरोप लगा कर गिरफ्तार किया है।

NTUI ने  प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि  इसी तरह से इसी साल मई में  धरित्री शर्मा को बिना किसी सबूत और क़ानूनी प्रक्रिया की अनदेखी करते हुए  हिरासत  में लिया  गया था।

NTUI के जनरल सेक्रेटरी गौतम मोदी ने कहा  है कि शर्मा के साथ एएमएसयू के अन्य पदाधिकारियों  को  भी पुलिस  द्वारा बीते एक वर्ष से उत्पीड़न किया जा रहा है और उन्हें गिरफ़्तारी की धमकी दी जा रही थी। यह मज़दूर नेताओं को धमकाने का तरीका है ताकि वे संघर्ष छोड़ दें।

फाइल फोटो

उन्होंने धरित्री शर्मा  की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए इसे अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी कहा गया है, साथ ही उन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की गई है।

शर्मा को असम पुलिस की अपराध शाखा द्वारा कथित रूप से उनके “माओवादी” लिंक के कारण कछार, जराईताला में उनके आवास के पास से बीते शनिवार को बिना वारंट गिरफ्तार किया गया था।

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NTUI का कहना है कि,  एएमएसयू द्वारा डोलू चाय बागान में योजनावद्ध  तरीके से 9  नवंबर  को  विरोध प्रदर्शन और  10  नवंबर को डोलू चाय बागान में काम  पूर्ण  रूप  से बंद  करने के आह्वान के बाद  यह गिरफ़्तारी हुई है।

पुलिस ने  करीब 2000 चाय मजदूरों को  बगान से जबरदस्ती हटाया और  चाय की झाड़ियों को जबरदस्ती बुलडोज़र से उखाड़ दिया।

एनटीयूआई ने असम सरकार से  निम्नलिखित  मांग की है :- 

धरित्री शर्मा  पर लगाये गये सभी मनगढ़ंत और फ़र्जी  आरोपों निरस्त हों।

सरकार यह  भी सुनिश्चित करें कि वृक्षारोपण में प्रबंधन नियत प्रक्रिया का पालन करे। चूंकि अधिकांश श्रमिक असम मजूरी श्रमिक यूनियन से संबंधित हैं,  इसलिए मज़दूरी संबंधी समझौते के लिए  यूनियन की डोलू चाय बागान इकाई समितियों की सहमति ली जाए।

श्रमिकों की समस्याओं को दूर करने और उनकी मांगों को हल करने के लिए त्रिपक्षीय वार्ता शुरू की जाए।

साथ ही  यह सुनिश्चित किया जाये कि  कर्मचारियों  और एक्टिविस्टों को  प्रतिगामी  और विभाजनकारी  ताकतों  के खिलाफ़  शांतिपूर्ण  और लोकतांत्रिक  अधिकार जिसमें  विरोध भी शामिल  है, करने की अनुमति दी जाये।

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