सिनियर सिटीजन को रेलवे टिकट में मिलने वाली छूट खत्म की गई

मोदी सरकार ने सीनियर सिटीजन (60 साल से ऊपर) के व्यक्तियों को रेलवे टिकटों में मिलने वाली 50 % की छूट को खत्म कर दिया है।

यही नहीं भारतीय रेल ने खिलाड़ी, ट्रांसजेंडर, युद्ध शहीद विधवा, सीनियर सिटीजन सहित 12 श्रेणियों के रियायती किराए को सिर्फ तीन श्रेणियों तक सीमित कर दिया है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में एक लिखित जवाब में बताया कि सीनियर सिटीजंस को किराए में छूट देने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ पड़ता है।

इसलिए इसे बहाल करने की कोई योजना नहीं है। केवल स्पेशल कैटेगरी वाले लोगों को किराए में छूट की सुविधा दोबारा शुरू की गई है।

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इनमें चार श्रेणी के दिव्यांग, 11 कैटेगरी के मरीज और छात्र शामिल हैं। सीनियर सिटीजंस और खिलाड़ियों के साथ-साथ बाकी कैटेगरी के यात्रियों के लिए यह सुविधा बहाल नहीं की गई है।

दरअसल 2020 में मोदी सरकार ने कोरोना की आड़ में सीनियर सिटीजन सहित 53 कैटेगरी में टिकट पर मिलने वाली छूट बंद कर दी थी।

उस समय तर्क दिया गया था कि इससे यात्री अधिक यात्रा करने से हतोत्साहित होंगे और कोरोना को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी।

मोदी सरकार द्वारा छूट को खत्म करने का फैसला बताता है कि छूट को खत्म करने के लिए कोरोना को सिर्फ बहाना बनाया गया था।

रेलवे में मिलने वाली छूट पर वर्ष 2019-20 में 6.18 करोड़ सीनियर सिटीजन ने रेलवे में यात्रा की थी। इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों की संख्या बताती है कि ये कितना बड़ा हमला है।

ये हमला ऐसे समय में किया गया है जब अनियोजित लॉकडाउन, बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी ने भारतीय परिवारों की आर्थिक स्थिति को तबाह कर रखा है।

ऐसे में सिनियर सिटीजन सहित अन्य लोगों को मिलने वाली छूट को खत्म कर सरकार आम जनता के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।

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