क्या कोरोना वायरस जैविक हथियार के रूप में आजमाने की कोशिश हुई है? अमेरिका चीन के बीच आरोप प्रत्यारोप

corona virus genetic structure

कोरोना वायरस के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराने की नई कोशिशों में  पश्चिमी मीडिया ने एक और सनसनीखेज़ ख़बर प्रकाशित की है।

इसमें दावा किया गया है कि चीन के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले कथित तौर पर कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी।

हालांकि इस ख़बर के आने के दूसरे दिन ही चीन ने इसे पश्चिमी देशों का प्रोपेगैंडा बताया है और चीन की छवि को धूमिल करने का प्रयास बताते हुए अमेरिका पर निशाना साधा।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ शुनयिंग ने कहा कि अमेरिकी मीडिया में इसे गोपनीय दस्तावेज करार देकर चीन की छवि को धूमिल किया जा रहा है। लेकिन तथ्य ये है कि ये बिना संदर्भ के व्याख्या करके कोरा झूठ गढ़ा जा रहा है।

उनका कहना है कि अमेरिकी विदेश विभाग जिस दस्तावेज़ का ज़िक्र कर रहा है वो गोपनीय दस्तावेज नहीं है बल्कि सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित रिसर्च बुक है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़ने का पूर्वानुमान लगाया था। अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त हुए दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है।

ब्रिटेन के ‘द सन’ अखबार ने ‘द ऑस्ट्रेलियन’ की तरफ से सबसे पहले जारी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे ‘विस्फोटक’ दस्तावेज कथित तौर पर दर्शाते हैं कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर यह घातक पूर्वानुमान जता रहे थे।

अमेरिकी अधिकारियों को मिले कथित दस्तावेज कथित तौर पर वर्ष 2015 में उन सैन्य वैज्ञानिकों और वरिष्ठ चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे जोकि कोविड-19 की उत्पत्ति के संबंध में जांच कर रहे थे।

चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस का ‘जैविक हथियार के नए युग’ के तौर पर उल्लेख किया था, कोविड जिसका एक प्रकार है।

इन दस्तावेजों में कथित तौर पर लिखा है कि जैव हथियार हमले से दुश्मन के चिकित्सा तंत्र को ध्वस्त किया जा सकता है।

दस्तावेजों में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के कार्यों का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस बात की आशंका जताई थी कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जा सकता है।

दस्तावेजों में इस बात का भी उल्लेख है कि चीन में वर्ष 2003 में फैला सार्स एक मानव-निर्मित जैव हथियार हो सकता है, जिसे आंतकियों ने जानबूझकर फैलाया हो।

सांसद टॉम टगेनधट और आस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसन ने कहा कि इन दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर चिंता पैदा कर दी है।

हालांकि, बीजिंग में सरकारी ग्लोबल टाइम्स समाचारपत्र ने चीन की छवि खराब करने के लिए इस लेख को प्रकाशित करने को लेकर द आस्ट्रेलियन की आलोचना की है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता का कहना है कि अमेरिकी वायु सेना के पूर्व अधिकारी कर्नल माइकल जे आइंसकफ़ ने जिस अगली पीढ़ी के जैव हथियार का ज़िक्र किया है वो अमेरिकी प्रोग्राम का हिस्सा है।

हुआ ने कहा कि, ‘तो क्या ये अमेरिका है जो जैव हथियारों पर रिसर्च कर रहा है?’ उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने विदेशों में सैकड़ों बॉयो लैब्स वनाए हैं, वो किसलिए हैं?

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