मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को लिखा पत्र 2014 से नहीं मिला वेतन, कोई मदद के लिए नहीं है तैयार

rico dharuhera workers protest

जो मज़दूर इस देश की अर्थव्यवस्था को ऊचाइयों तक पहुंचाते है। मेहनत मज़दूरी कर के अपने परिवार का पेट पालते हैं। उन्हीं मज़दूरों के साथ शोषण होना इन 5-6 सालों में आम हो गया है।

एक मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को चिट्ठी लिखकर बताया कि उन्हें 2014 से अभी तक वेतन नहीं मिला है।

मज़दूर वर्ड वाइड कॉपिर्यस, अनील कुमार के यहां काम करते थे। अनील कुमार ने इन्हें 2014 अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर, नवंबर और 2015 जनवरी, जून का वेतन नहीं दिया है।

अनिल कुमार के यहां मज़दूर का कुल 42,000 हज़ार बकाया है।

मज़दूर ने अनिल कुमार से 3 जनवरी 2020 को जब वेतन मांगा तो अनील कुमार ने उनसे कहा कि अभी इसमें समय लगेगा। फिर कुछ दिन बाद अनिल कुमार ने एडवांस देने की बात कही पर नहीं दिया।

वेतन की आस में मज़दूर ने सैलरी फार्म भी भर दिया पर कोई फायदा  नहीं हुआ

परेशान मज़दूर ने कई लोगों से मदद की गुहार लगाई पर किसी ने भी इनकी कोई मदद नहीं की। 6 जून को इन्होंने वर्कर्स यूनिटी हेल्पलाईन नंबर पर पत्र लिखकर मदद मांगी है।

लॉकडाउन से लगातार मज़दूरों के वेतन काटने और गैरकानूनी तरीके से मज़दूरों को काम से निकालने की खबरे सुर्खियां बनी हुई है। पर मोदी सरकार ने मज़दूरों से अपना पल्ला झाड़ लिया है।

गौरतलब है 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि, किसी भी कर्मचारी का वेतन कोई भी नियोक्ता न काटे। पर यहां पर तो कई कंपनियां लॉकडाउन के पहले का वेतन मज़दूरों को नहीं दे रही है।

हालांकि सरकार अब अपने ही किए हुए वादे से मुकर गई है। 4 जून को वेतन को लेकर सुनवाई के दौरान सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस वादे से पीछे हट गई।

सरकार का तर्क था कि, ‘जब लॉकडाउन शुरू हुआ था, तब कर्मचारियों के काम वाली जगह को छोड़कर अपने गृहराज्यों की ओर पलायन करने से रोकने की मंशा के तहत अधिसूचना जारी की गई थी। लेकिन अंततः ये मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी।’

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