हीरो ने ठेका मज़दूरों को नहीं दी मई की सैलरी, काम पर आने या नौकरी से निकाले जाने की दी जा रही धमकी

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By खुशबू सिंह

हरियाणा के गुड़गांव में ‘हीरो मोटो कॉर्प’ प्लांट में काम कर रहे अस्थाई मज़दूर को कंपनी ने मई महीने का वेतन नहीं दिया है। रेड जोन में रह रहे कर्मचारियों को कंपनी प्रबंधन जबरन काम पर आने के लिए दबाव बनाता है।

गुड़गांव प्लांट में काम कर रहे एक मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि ‘यदि कोई मज़दूर कोरोना की वजह से काम पर आने से मना करता है तो उसे काम से निकालने की धमकी दी जाती है।’

कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे मज़दूरों को कंपनी ने लॉकडाउन के समय 25 मार्च को पूरा वेतन दे दिया था, लेकिन अप्रैल महीने का वेतन उन्हींको मिला है, जो लोग 10 मई को कंपनी में मौजूद थे और मई महीने का वेतन तो अभी तक नहीं मिला है।

एक साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे मज़दूरों को कंपनी ने मई महीने का वेतन नहीं दिया है।

मज़दूरों का दावा है कि ‘अधिकतर मज़दूर लॉकडाउन के कारण अपने गांव चले गए थे, पर कंपनी प्रबंधन उन्हें फोन कर काम पर लौटने को कह रहा है।’

गुड़गांव, मानेसर और धारूहेड़ा की कंपनियों में

काम पर न आने पर निकालने की धमकी

नाम गोपनीय रखने की शर्त पर इस मज़दूर ने बताया कि ‘जो लोग अपने गांव में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए थे, कंपनी प्रबंधन उन्हें फ़ोन कर के धमकाता था और कहता था- मुझे नहीं पता तुम लोग कैसै काम पर लौटोगे, अगर काम पर नहीं आए तो तुम्हें काम से निकाल दिया जाएगा।’

कंपनी में क़रीब 5000 मज़दूर काम करते हैं, जिनमें एक बड़ी संख्या ठेका मज़दूरों की है जिन्हें एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है।

कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार इसी कंपनी में नहीं हो रहा है। एक मज़दूर ने दावा किया कि मानेसर में स्थित रिको कास्टिंग कंपनी ने भी अपने 250 मज़दूरों को मई महीने का वेतन नहीं दिया है।

इन कर्मचारियों को अप्रैल महीने का आधा वेतन ही दिया गया। और सबसे बुरी ख़बर ये रही कि रिको ने सौ के करीब अपने स्थाई कर्मचारियों को निकाल दिया।

गौरतलब है 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि, किसी भी कर्मचारी का वेतन कोई भी नियोक्ता न काटे।

सैलरी के मामले में पलट गई मोदी सरकार

यहाँ तक कि मोदी की अपील के के बाद ही 29 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश भी जारी किया कि किसी भी कर्मचारी के वेतन में किसी भी तरह की कोई कटौती नहीं होगी।

हालांकि सरकार अब अपने ही किए हुए वादे से मुकर गई है। 4 जून को वेतन को लेकर सुनवाई के दौरान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस वादे से पीछे हट गई।

सरकार ने कहा, ‘जब लॉकडाउन शुरू हुआ था, तब कर्मचारियों के काम वाली जगह को छोड़कर अपने गृहराज्यों की ओर पलायन करने से रोकने की मंशा के तहत अधिसूचना जारी की गई थी। लेकिन अंततः ये मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी।’

सीटू के जनरल सेक्रेटरी तपन सेन ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान श्रम क़ानूनों में संशोधन मज़दूरों के ख़िलाफ़ मोदी सरकार की ओर से जंग का ऐलान है।

इसी संदर्भ में मई में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था।

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