बांग्ला फ़िल्में: थर्ड वर्ल्ड सिनेमा, समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलन का प्रभाव – Part-3
By मनीष आज़ाद जैसे राजनीति में बांग्ला ने एक दिशा दिखाई, वैसे ही सिनेमा में भी इसने दिशा दिखाई। हम सभी मानते हैं कि 1955 में सत्यजीत रे की ‘पाथेर …
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