मानेसर प्रोटेरिअल वर्कर कंपनी में धरने पर बैठे, गेट के बाहर दो शिफ़्ट के वर्कर

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By एसके सिंह

मानेसर में स्थित हिताची मेटल्स इण्डिया, जिसका नाम प्रीटोरियल हो गया है, में ठेका वर्कर गुरुवार शाम से ही कंपनी में धरने पर बैठ गए हैं।

वर्करों का आरोप है कि कंपनी के क़रीब पौने तीन सौ ठेका वर्करों की अगुवाई करने वाले दो मज़दूर नेताओं को बर्ख़ास्त करने की कोशिश की गई जिसके ख़िलाफ़ बी शिफ़्ट के मज़दूर मशीनों से उठ कर शॉप फ़्लोर पर आ गए।

प्लांट के अंदर बैठे एक मज़दूर ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर वर्कर्स यूनिटी को बताया कि गुरुवार को शिफ़्ट ए में काम सुचारु रूप से जारी रहा। लेकिन सवा दो बजे बी शिफ़्ट के मज़दूर अंदर गए तो मैनेजमेंट ने दो अगुवा मज़दूर नेताओं को साढ़े तीन बजे अपने चेंबर में बुला लिया।

उन्होंने बताया कि वहां लेबर कोर्ट एक इंस्पेक्टर भी मौजूद थे और वहां प्रोडक्शन बढ़ाने की बात मैनेजमेंट ने की, जिसे मज़दूर प्रतिनिधियों ने मान लिया।

मज़दूर प्रतिनिधि के अनुसार, मैनेजमेंट से जब ये बात रखी गई कि दो दिन पहले जो 25 ठेका वर्करों की नई भर्ती की गई है, उन्हें हटाया जाए तो इस पर कोई सहमति नहीं बनी।

उनका दावा है कि दो अगुवा मज़दूर प्रतिनिधियों को काम से निकालने की बात हुई तो बी शिफ़्ट के सारे वर्कर प्लांट में ही धरने पर बैठ गए।

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रात में क्या हुआ?

रात में जब सी शिफ़्ट के मज़दूर कंपनी आए तो वो भी गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। ख़बर लिखे जाने तक पता चला है कि एक और सी शिफ़्ट के मज़दूर गेट पर बैठे  हुए हैं और बी शिफ़्ट के वर्कर कंपनी के अंदर हैं। अभी तक लेबर कोर्ट या मैनेजमेंट की ओर से कोई वार्ता करने को नहीं आया है।

आज सुबह जब मज़दूरों ने शौचालय खोलने के लिए मैनेजमेंट से कहा तो इस पर विचार करने की आश्वासन दिया गया है। लेकिन सुबह नौ बजे तक कंपनी के अंदर सारे वर्कर भूखे प्यासे बैठे हुए हैं और फ़्रेश भी नहीं हुए हैं।

मज़दूरों का आरोप है कि प्लांट के अंदर पहले से ही 25-30 बाउंसर मौजूद थे और शाम को भारी पुलिस भी तैनात की गई थी जिससे तनावपूर्ण माहौल बन गया है।

अगुवा नेता राजेश ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि 11 मई को C शिफ्ट में काम करने वाले सभी मज़दूरों को कंपनी परिसर के अंदर नहीं जाने दिया। प्रबंधन द्वारा इसकी कोई पूर्व जानकारी नहीं दी गयी थी।

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परमानेंट यूनियन नहीं है साथ

वर्करों का कहना है कि पुलिस प्रशासन की इस तानाशाही के कारण सभी मज़दूर कंपनी गेट के बाहर खुले आसमान के नीचे बैठे हैं।

दरअसल, घटनाक्रम की शुरुआत टी ब्रेक के वक्त शाम 4:00 बजे हुई जब मजदूरों को यह पता चला कि कंपनी में काम करने वाले दो और मज़दूरों को मैनेजमेंट ने निकाल दिया है। उस वक्त से प्लांट में प्रबंधन ने पहले से बाउंसर और पुलिस बल को तैनात किया था।

गौरतलब है कि प्लांट में कार्यरत ठेका मजदूरों ने प्रबंधन के साथ बातचीत करने के लिए पांच मजदूरों की समिति बनाई थी जिनमें से तीन को पहले नौकरी से निकाल दिया गया था।

कंपनी में कुल 46 परमानेंट मज़दूर और क़रीब 270 ठेका वर्कर हैं। धरने पर बैठे ठेका वर्करों का कहना है कि परमानेंट वर्करों की यूनियन इस धरने में शामिल नहीं है और न ही उनकी ओर से कोई सपोर्ट है। वे उत्पादन के काम में लगे हुए हैं।

एक वर्कर ने बताया कि ठेक वर्कर महीने में 12-13 हज़ार रुपये कमा पता हैं जबकि परमानेंट वर्करों की सैलरी कई गुना है।

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जून 2022 में कंपनी का नाम बदला

एक मज़दूर नेता ने बताया कि यह कंपनी जापान की है और इसमें बनाए जाने वाले पार्ट्स सीधे जापान जाते हैं, फिर भी मज़दूरों के लिए काम के हालात बहुत कठिन हैं।

जून 2022 में कंपनी का नाम बदल कर ‘प्रोटेरिअल’ रखा गया था और मज़दूरों को नए कोड पर भर्ती करने की नीति प्रस्तावित की गयी।

कमोबेश सभी मज़दूर 2-6 साल तक कंपनी में काम करते आए थे। मज़दूरों ने नया कोड लेने से मना कर दिया। साथ ही उन्होंने अपना एक सामूहिक मांग पत्र भी प्रबंधन को दे दिया।

इसमें स्थायी प्रकार का काम कर रहे सभी मज़दूरों के लिए स्थायी रोज़गार, वेतन में बढ़ोतरी, काम की शर्तों में सुधार इत्यादि मांगें शामिल थीं। सामूहिक मांग पत्र की एक प्रति हरियाणा श्रम विभाग में भी जमा कर दी गयी।

वर्करों का आरोप है कि मांगों पर सुनवाई करने की जगह प्रबंधन ने उनके साथ दुर्व्यवहार और दमन बढ़ा दिया। मनेजमेंट की इस कार्यवाही में अब तक 25 मज़दूर बाहर हो चुके हैं।

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एक मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि बर्ख़ास्त और कंपनी के अन्दर काम कर रहे मज़दूर संगठित होकर मनेजमेंट की इस अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी कार्यवाही के ख़िलाफ़ संघर्षरत हैं।

फिलहाल यह खबर लिखे जाने तक अभी तक प्लांट के अंदर श्रम विभाग का कोई भी अधिकारी मजदूरों से बातचीत करने के लिए नहीं पहुंचा था वहीं अंदर बैठे मजदूरों के अनुसार प्रबंधन और पुलिस प्लांट खाली करने के लिए मजदूरों पर दबाव बना रहे हैं।

संघर्ष कर रहे मजदूरों ने सभी ट्रेड यूनियूनों और न्याय पसंद लोगों से उनके समर्थन में आवाज उठाने की अपील की है।

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