उत्तराखंड : जायडस वर्करों ने बहाली की मांग को लेकर निकाली मशाल रैली, 214 दिनों से जारी है धरना

उत्तराखंड के सितारगंज स्थित जायडस कंपनी के मज़दूर बीते 214 दिनों के लगातार कार्यबाही की मांग कर रहे हैं। जिसको लेकर कल,18 जनवरी को AICCTU से जुड़ी जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन के बैनर तले अवैध बंदी की मार झेल रहे मज़दूर ने मशाल रैली का आयोजन किया।

यूनियन का आरोप है कि उच्च न्यायालय नैनीताल और सितारगंज शासन के आदेश के बाद भी जायडस प्रबंधन फैक्ट्री की बंदी को ख़त्म करने को राजी नहीं है।

ज्ञात हो कि 17 जून 2022 को जायडस वैलनेस कंपनी ने बिना किसी पूर्व सूचना के फैक्ट्री को बंद कर दिया था। मज़दूरों को इसकी जानकारी फैक्ट्री गेट पर चस्पा नोटिस के माध्यम से मिली थी। इसके बाद 18 जून 2022 से लेकर आज तक कंपनी गेट पर ताला लगा हुआ है।

यूनियन का कहना है कि जायडस मज़दूर लगातार कार्यबहाली की मांग कर रहे है। लेकिन सरकार अभी तक जायडस सितारगंज के कारखाने को खुलवा नहीं पाई है। जबकि श्रम सचिव ने अपने आदेश में इस बंदी को क़ानूनी रूप से अवैध घोषित कर दिया है।

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बर्खास्त मज़दूरों का आरोप है कि शासन पूंजीपतियों का साथ दे रहा है, श्रम मंत्रालय मुख्यमंत्री के हाथ में है फिर भी उत्तराखण्ड का युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहा है।

जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन का कहना है कि बीते 7 महीनों से लगातार धरनारत मज़दूर भूखमरी की कगार पर आये हैं, फिर भी शासन आंखे बंद किये हुये। जिसके कारण बुधवार शाम को जायडस मज़दूरों ने एक विशाल मशाल रैली का आयोजन किया। यह रैली नगरपालिका से नकुलिया अम्बेडकर ग्राउण्ड तक निकाली गयी।

इस रैली माध्यम से मज़दूरों ने जायडस प्रबंधन व सरकार पर आक्रोश प्रकट करते हुए एक विशाल उग्र जन- आंदोलन चेतावनी दी।

यूनियन का कहना है कि अगर फैक्ट्री को जल्द से जल्द नहीं खोला जायेगा तो बर्खास्त मज़दूरों को मजबूरन एक विशाल उग्र जन- आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ेगा। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी।

मज़दूरों द्वारा आयोजित मशाल रैली का हिस्सा बने पालिका अध्यक्ष हरी। दुबे का कहना है कि सिडकुल में कंपनियों के हो रहे लगातार पलायन से सितारगंज क्षेत्र में भी प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि व्यवसाय से जड़े मज़दूरों की अजिविका को गहरा प्रभाव पड़ा है।

दुबे ने प्रदेश सरकार से सिडकुल में लगातार पलायन करती हुई कंपिनयों पर रोक लगाने का आग्रह किया है।

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गौरतलब है कि कॉम्पलेन और ग्लूकोन-डी बनाने वाली जायडस कंपनी में 250 स्थाई सहित करीब 1200 ठेका मज़दूर काम करते थे। 17 जून 2022 को अचानक फैक्ट्री बंद होने के कारण उपरोक्त सभी मज़दूरों को जीवन यापन में काफी दिक्कतों का सामान करना पड़ रहा है।

जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन सम्बद्ध AICCTU की पहली मांग है कि कारखाना उपरोक्त की अवैध बंदी ख़त्म करते हुए प्लांट खोला जाए और सभी मज़दूरों को कार्यबहाल किया जाये

यूनियन की दूसरी मांग है कि कारखाना में काम करने वाले सभी निकाले गए मज़दूरों को 18 जून 2022 से अब तक के वेतन का भुगतान किया जाए।

बुधवार को आयोजित मशाल रैली में AICCTU के अध्यक्ष मटियाली, सुशीला तिवारी मद्यविद्यालय के प्रो. दिपक कोहली, क्षेत्रिय सिडकुल कर्मकार, सिडकुल संयुक्त मोर्या, रंजना राणा, भावना पंत, लीलाधर, अनीता, खीमा पंत, रीतु, सबीना, ज्योती चंद, भास्कर अनिल, उमेश गोला, दिपक नयाल, धर्मेन्द्र सिंह, पूरन भाकुनी, कमलेश, चारू, प्रदिप कुमार, अमित दूबे, मिथुन, काशी, ललित चंद, आदि अनेक मज़दूर उपस्थित रहे।

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