पंजाब : मार्शल मशीन लिमिटेड के मज़दूरों को मिली जीत, मांगों के आगे झुका प्रबंधन और श्रम विभाग

लुधियाणा के फोकल प्वाइंट स्थित मार्शल मशीन लिमिटेड के मज़दूरों ने प्रबंधन और श्रम विभाग को अपनी मांगों के आगे झुका कर सफलता हासिल की।

दरअसल, ‘सी.एन.सी. टर्निंग मशीन’ (यानी कंप्युटर से कंट्रोल खराद मशीन) बनाने वाली कंपनी के करीब सवा सौ मज़दूर बीते 7 फ़रवरी से वेतन और सामाजिक सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दों को लेकर हड़ताल कर रहे थे। इस हड़ताल का नेतृत्व मज़दूरों की चुनी हुई कमेटी द्वारा की जा रही थी।

कमेटी द्वारा जारी विज्ञप्ति से मिली जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार 10 फरवरी की रात करीब 9 बजे कारखाने के सामने श्रम विभाग के अफ़सरों की हाजरी में प्रबंधन और मज़दूरों के बीच लिखित समझौता हुआ। जिसके बाद मज़दूरों ने 4 दिनों से जारी हड़ताल को वापस ले लिया।

समझौता की मुख्य बातें

लिखित समझौते के मुताबिक मज़दूरों को हर महीने की 10 तारीख को वेतन दिया जाएगा और साथ ही वेतन पर्ची भी दी जाएगी। मज़दूरों के पहचान पत्र बनाए जाएँगे। जिन मज़दूरों को ईएसआई और ईपीएफ की सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं, उन्हें यह सुविधाएँ दी जाएँगी।

इसके अलावा मई 2022 से ईपीएफ और ईएसआई संबंधी कंपनी द्वारा मज़दूरों के वेतन से कटौती करके एकत्र किया गया पैसा और कंपनी अपना हिस्सा सरकारी खजाने में जल्द जमा करवाएगी ताकि मज़दूरों को ये सहूलतें मिलने में कोई रुकावट पैदा न हो।

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समझौते पत्र में कंपनी ने जनवरी 2023 का पूरा वेतन ‘‘आर्थिक संकट’’ के कारण तुरंत देने से असमर्थ होने की बात कहते हुए लिखित तौर पर माना कि इसकी अदायगी तीन किश्तों में की जाएगी। 20 फीसदी वेतन 11 फरवरी को दो बजे से पहले, 20 फीसदी 16 फरवरी को, बाकी 60 फीसदी 20 फरवरी को अदा किया जाएगा। चार दिनों की हड़ताल की दो दिनों का वेतन भी मज़दूरों को मिलेगा।

समझौते में लिखा गया कि संघर्ष में शामिल किसी भी मज़दूर के साथ कंपनी द्वारा किसी भी तरह की बदलाखोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

समझौते के मुताबिक हड़ताल खत्म करने के बाद सभी मज़दूर 11 फरवरी की सुबह से काम पर लौटेंगे।

कंपनी द्वारा ईपीएफ और ईएसआई संबंधी की जा रहीं गड़बड़ियों पर मज़दूरों द्वारा दोनों विभागों की शिकायत दर्ज करवाई गई है।

इन सभी बातों पर मज़दूरों से सलाह-मशवरा करके और सहमती लेकर ही कमेटी ने समझौता वार्ता पर अपनी प्रतिक्रिया जताई और सभी मज़दूरों के पड़ने के बाद समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये।

इस दौरान मज़दूरों को कारखाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर और टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के सचिव जगदीश ने संबोधित किया।

यूनियन ने प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समझौते को सुचारु और समय से लागू नहीं किया जायेगा तो मज़दूरों दोबारा हड़ताल करेंगे और अपनी संघर्ष को जारी रखेंगे।

इस समझौता वार्ता में श्रम विभाग की ओर से लेबर इंस्पेक्टर नेहा गुप्ता, नरेश गर्ग आदि शामिल रहे।

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हड़ताल की वजह

हड़ताल के दौरान यूनियन का आरोप था कि कंपनी आर्थिक संकट का सारा बोझ मज़दूरों पर डालना चाहती है। इसलिए वेतन महीना-महीना देरी से दिए जा रहे हैं और ईपीएफ और ईएसआई संबंधी मज़दूरों के वेतन से काटा जा रहा पैसा और अपना हिस्सा कंपनी संबंधित विभागों को जमा नहीं करवा रही।

इसके अलावा अन्य कानूनी श्रम अधिकार भी पूरी तरह लागू नहीं किए जा रहे।

मज़दूरों ने कंपनी की इस बेइंसाफी के सामने सिर झुकाने की जगह संघर्ष की राह पकड़ी है।

कंपनी के सवा सौ मज़दूरों ने बीती 7 फरवरी को हड़ताल कर दी। मज़दूर नेताओं के भेष में आए पूँजीपतियों के दलालों ने मज़दूरों को एकजुट संघर्ष के रास्ते से हटाने के लिए पूरा जोर लगाया लेकिन मज़दूरों ने अपनी जुझारू यूनियन कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब के झंडे तले संघर्ष जारी रखा और जीत प्राप्त की।

हड़ताल के दौरान पंजाब के स्थानीय और प्रवासी मज़दूरों में पूरी एकजुटता देखने को मिली। संघर्ष में टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन ने भी सहयोग किया।

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