हरियाणा सरकार की नई परिवार पहचान पत्र योजना पर उठे सवाल

By शशिकला सिंह

हरियाणा में परिवार पहचान पत्र (PPP) बनाया जा रहा है। बीजेपी शासित इस प्रदेश में सरकार का दावा है कि हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां परिवार पहचान पत्र बनाए जा रहे हैं। दावे के मुताबिक, इस मॉडल से बुजुर्गों को पेंशन की सुविधा मिलने में आसानी होगी।

वहीं उत्तराखंड के बाद अब जम्मू-कश्मीर में इस मॉडल को लागू करने की तैयारियां की जा रही हैं। इसका जम्मू-कश्मीर में तीखा विरोध किया जा रहा है।

क्या है परिवार पहचान पत्र

हरियाणा परिवार पहचान पत्र अधिनियम, 2021 के तहत सेवाओं व योजनाओं को परिवार पहचान पत्र के साथ जोड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है। नागरिक संसाधन सूचना विभाग हरियाणा द्वारा परिवार पहचान पत्र का सत्यापन किया जा रहा है। हरियाणा में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रदेश की जनता को इसमें पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।

सरकार का मानना है कि परिवार पहचान पत्र का उद्देश्य राज्य में रह रहे परिवारों के लिए व्यापक, विश्वसनीय और सटीक डाटाबेस तैयार करना है।

हरियाणा सरकार ने राज्य में रहने वाले हर परिवार के लिए परिवार पहचान पत्र में पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए गांव-गांव में शिविर लगाकर लोगों के परिवार पहचान पत्र बनाए जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें-

अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक, हरियाणा में स्थाई रूप से रहने वाले परिवारों को परिवार पहचान पत्र में पंजीकरण के बाद 8 अंकों का पीपीपी जारी किया जाएगा।

इसी प्रकार यदि  कोई  परिवार हरियाणा से बाहर रह रहा है, परंतु राज्य की किसी सेवा या स्कीम के लिए आवेदन कर रहा है, तो उसको भी पीपीपी में पंजीकरण करना होगा। ऐसे परिवारों को 9 अंकों का अस्थाई परिवार पहचान जारी किया जाएगा।

वहीं उत्तराखंड ने परिवार पहचान पत्र को 14 अंकों का बनवाने का निर्णय लिया है।

सरकार के नए मॉडल का विरोध

अब देखने वाली बात यह है कि अगर देश में सभी नागरिकों का आधार कार्ड है, तो फिर परिवार पहचान पत्र बनाने की क्या जरूरत है?

हरियाणा CITU प्रदेश सचिव सतवीर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि परिवार पहचान पत्र जनता का शोषण करने की एक नई नीति है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य में सभी लोगों के आधार कार्ड बने हुए हैं, जनता को इसके माध्यम से पेंशन और अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं। फिर भी इसमें भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि बीजेपी की सरकार परिवार पहचान पत्र को कॉमन सिविल कोड से जोड़ कर अब परिवार संबंधी गोपनीयता को भी सार्वजनिक करना चाहती है। सतवीर ने कहा कि CITU हरियाणा सरकार के इस नए मॉडल का विरोध करता है।

हरियाणा सरकार ने परिवार पहचान पत्र में पंजीकरण करने के लिए गांव-गांव में डाटा सत्यापन शिविर कैंप का आयोजन किया है। यह 16, 17 और 18 दिसंबर तक लगा जा रहे हैं। इससे पहले 10 और 11 दिसंबर को भी इसी तरह के कैंप का आयोजन किया गया था।

हरियाणा के सोनीपत में स्थित राई के पब्सरा गांव के प्रधान हुकम चंद में बताया कि गांव में लगातार कैंप लगाए जा रहे हैं। उनका कहना हैं परिवार पहचान पत्र के माध्यम से परिवार के हर सदस्य की पूरी जानकारी सीधे-सीधे सरकार के पास जा रही हैं।

फायदे नुकसान के बात करते हुए हुकम चंद ने कहा कि गांव में सभी परिवारों को राशन और वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएं अभी भी मिल रही हैं, तो फिर परिवार पहचान पत्र की कोई जरूरत नहीं है।

हरियाणा सरकार के मुताबिक पिछले 2 साल में पूरे राज्य में 95 फीसदी परिवारों का परिवार पहचान पत्र बनाया का जा चुका है।

ये भी पढ़ें-

निजता के अधिकार का उल्लंघन

गौरतलब है कि परिवार पहचान पत्र में पंजीकरण के दौरान परिवार सम्बन्धी सभी जानकारियों को माँगा जा रहा है। जिसमें सालाना वेतन, रोज़गार संबंधी जानकारी आदि।

ऐसा तब किया जा रहा है जब जनता के पास आधार कार्ड और राशन कार्ड दोनों हैं। ऐसे में निजता के अधिकार के उल्लंघन को लेकर सवाल उठाना  जायज है।

इस सम्बन्ध में पहले भी सवाल उठते रहे हैं और यह मामला सुप्रीमकोर्ट तक भी पहुंचा है। अब सोचने वाली बात यह है कि जब आधार नंबर मौजूद है फिर यह नई योजना क्यों ?

निजता का अधिकार नागरिक का मौलिक और संवैधानिक अधिकार है , सरकार को इसका सम्मान करना ही चाहिए।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.