यूपी के असंगठित मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए अब जागी योगी सरकार, यूनियनों की चिट्ठी के बाद बुलाई बैठक

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उत्तर प्रदेश के असंगठित मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश शासन ने असंगठित मजदूरों के साझा मंच के पत्र के बाद 18 जुलाई को बोर्ड कार्यालय पर 11 बजे से बैठक बुलाई है।

बोर्ड के सचिव द्वारा जारी पत्र में अवगत कराया गया कि प्रदेश के असंगठित मजदूरों के जीवन सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाएं बनाने के संदर्भ में शासन के निर्देश पर यह बैठक बुलाई गई है।

एटक के प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर, वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर और टीयूसीसी के प्रदेश महामंत्री प्रमोद पटेल को इस बैठक में अपने मांग पत्र के साथ उपस्थित होने को कहा गया है।

प्रेस को जारी बयान में नेताओं ने कहा कि प्रदेश में 8.5 करोड़ असंगठित मजदूरों का पंजीकरण ई श्रम पोर्टल पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया गया।

इसमें कृषि, निर्माण, घरेलू कामगार, रेहड़ी – पटरी वाले, रिक्शा चालक, बुनकर, चिकनकारी का काम करने वाले, आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील रसोइये आदि मजदूर हैं।

इन मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। इन्हें ना तो मृत्यु दुर्घटना बीमा मिलता है और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाती हैं।

देश व प्रदेश में बड़ी बात लाभार्थियों की हो रही है लेकिन सरकार से बार-बार मांग करने के बावजूद आयुष्मान कार्ड योजना का भी लाभ इन मजदूरों को नहीं दिया गया।

इसके अलावा आवाज पेंशन आदि सुविधाएं भी नहीं दी जाती हैं। प्रदेश में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों का भी पंजीकरण नहीं हुआ है और इन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

प्रदेश से विदेशों में काम करने वाले मजदूरों के विधिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्हें टूर एवं ट्रैवल्स के वीजा के नाम पर बाहर ले जाया जा रहा है और श्रमिक के बतौर काम करा के उनकी मजदूरी आदि का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है।

इन सवालों पर विगत दिनों प्रमुख सचिव श्रम से मुलाकात की गई थी जिसके बाद यह वार्ता आयोजित की गई है।

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