प्रवासी मजदूरों के लिए बजट में केवल दिखावटी उपाय

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बजट में प्रवासी मजदूरों के लिए सबसे खास यह है कि उनके परिवारों को भी एक राष्ट्र, एक राशन के तहत राशन की अनुमति दी जाएगी।

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों ही दुर्दशा के बाद उम्मीद की जा रही थी कि उनके लिए बजट में ऐसे कुछ उयाय किए जाएंगे लेकिन वास्तव में सरकार ने उन्हें केवल सब्जबाग दिखाए हैं।
नेशनल हेराल्ड के मुताबिक, सरकार ने घोषणा की है कि लेबर कोड को लागू करने की कोशिश जारी रहेगी, जिससे उनकी न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की जाएगी।

न्यूनतम मजदूरी को 2015 में 160 रूपये प्रतिदिन थी, उसे 2020 में बढाकर 178 रूपये प्रतिदिन किया गया था।

बजट में प्रावधान किया गया है कि प्रवासी मजदूरों को भी न्यूतम मजदूरी का लाभ मिलेगा, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि चार, पांच लोगों के एक परिवार के लिए क्या हर रोज 178 रूपये पर्याप्त हैं।

बजट में यह भी कहा गया कि सभी कर्मचारियों को कर्मचारी राज्य बीमा द्वारा कवर किया जाएगा लेकिन इसका लाभ भी संगठित क्षेत्र के उन कुछ मजदूरों को ही मिलेगा, जिनका नाम रिकार्ड में दर्ज हैं, असंगठित क्षेत्र के करोड़ो मजदूर इस दायरे में नहीं आ पाएंगे ।

बजट में यह भी कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार एक पोर्टल शुरू करेगी, जिसके जरिए सबकी जानकारी जुटाई जाएगी। इसमें बिल्डिंग वर्कर्स और मैन्युफैक्चरिंग वर्कर्स समेत सभी वर्गों के मजदूर होंगे।

सरकार के मुताबिक,  इससे सभी प्रवासी मजदूरों के लिए स्वास्थ्य, घर, स्किल, इंश्योरेंस क्रेडिट और फूड स्कीम को तैयार करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा उनकी सामाजिक सुरक्षा भी बढाई जाएगी।

इस तरह के दावे करना जितना आसान है, उन्हें अमल में लाना उतना ही मुश्किल, लेकिन सरकार को प्रवासी मजदूरों के लिए बजट में कुछ करना था तो उसने इस तरह की योजनाएं बनाकर पेश कर दीं।

इन पर अमल कितना हो पाएगा, यह अगले बजट के बाद प्रवासी मजदूरों की हालत में आए सुधार को देखने के बाद ही पता लगेगा।

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