निजीकरण के खिलाफ रेल कर्मचारी आज मनाएंगे “चेतावनी दिवस”, देशव्यापी विरोध की तैयारी

railway-employees protest

भारत सरकार द्वारा रेलवे की परिसम्पत्तियों को बेचे जाने के खिलाफ ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) ने 8 सितंबर यानी की आज चेतावनी दिवस के रूप में देशव्यापी विरोध मनाने जा रहा है। रेलकर्मी केंद्र सरकार के हालिया परिसंपत्ति मुद्रीकरण ढ़ांचे (एनएमपी) के फैसले को भारतीय रेलवे की परिसंपत्ति की “एकमुश्त बिक्री” करार दे रहे हैं।

सरकार की मोद्रीकरण नीति के खिलाफ घोर विरोध प्रकट करते हुए एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि एआईआरएफ की बैठक में इस प्रस्ताव पर सभी राजी हैं कि इस योजना के खिलाफ आंदोलन किया जाए।

उन्होने बताया कि भारत सरकार द्वारा मुद्रीकरण अभियान के तहत रेलवे के 1,52,498 करोड़ रूपए की मूल्यवान परिसम्पत्त्यिां जिनमे 400 रेलवे स्टेषन, 673 किलोमीटर डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर, 15 रेलवे स्टेडियम, 1400 किलोमीटर ओएचई ट्रैक सामग्री, 90 पैसेन्जर गाडियां, भारतीय रेलवे कालोनी, 256 गुड्स शेड , चार पर्वतीय रेलवे और 741 किलोमीटर कोंकण रेलवे का ट्रैक शामिल है। सरकार इन्हें बेचने की तैयारी कर रही है और हम इसके विरूद्ध 8 सितम्बर 2021 को पूरे भारतीय रेलवे में ‘प्रचंड चेतावनी दिवस’ मनाएंगे।

शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि बुधवार को रेलवे की एआईआरएफ से संबद्ध सभी यूनियनों की शाखाओं द्वारा प्रचंड विरोध प्रदर्शन, रैली एंव सभाओं का आयोजन कर भारत सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होने कहा कि सरकार के इन फैसलों से रेल कर्मचारी डरने वाले नही है और हम रेलवे की परिसम्पत्तियों का किसी भी कीमत पर निजीकरण नही होने देंगे और न ही पूंजीपतियों के हवाले होने देंगे क्योकि रेल बचेगी तभी देश बचेगा।

उन्होने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार इन फैसलों को नहीं रोकती है तो ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगी।

ज्ञात हो कि नरेन्द्र मोदी सरकार की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की एक चार वर्षीय योजना की शुरुआत करने की घोषणा की है, जो संरचनागत परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से जुड़ी होगी। इस घोषणा के बाद देश की सबसे बड़ी रेलवे यूनियन ने सरकार की इस घोषणा के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया। इस निर्णय के तहत सरकार अपने कुछ ढांचों के स्वामित्व में बिना बदलाव किए ही, उनके राजस्व का अधिकार एक निश्चित अवधि के लिए निजी हाथों में सौंप देगी। इसकी एवज में वह उन कंपनियों से पैसा कमाएगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने मीडिया से बातचीत में कहा था कि एनएमपी के अंतर्गत छह लाख करोड़ रुपये जुटाए जाने का लक्ष्य है। यह राशि सड़क, रेलवे, ऊर्जा, खनन, उड्डयन, बंदरगाहों, भंडारगृह, स्टेडियम आदि क्षेत्रों की संरचनागत आस्तियों-परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से जुटाई जाएगी।

छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की एनएमपी की योजना में रेलवे की संभावित मौद्रिक हिस्सेदारी 1.5 लाख करोड़ की राशि होगी। रेलवे की अन्य आस्तियों के अलावा, 400 रेलवे स्टेशनों, 150 पैसेंजर ट्रेनें, 2,843 किलोमीटर का समर्पित मालवाहक गलियारा (डेडिकेटेड फ्राइट कोरिडोर) एवं रेल परिचालन पथ ढांचा (ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर) शामिल हैं।

मिश्रा ने कहा, “बुधवार को, रेलकर्मी इस योजना को रदद् करने के लिए सरकार को चेतावनी दे रहे हैं। अगर, यह नहीं होता है तो देश इस नीति के विरोध में रेलकर्मियों का लगातार संघर्ष देखेगा।”

(साभार- मेहनतकश)

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