राजस्थान में आये कानून से आखिर क्यों नाखुश है दिल्ली के गिग वर्कर्स

जुलाई के आखिरी सप्ताह में राजस्थान विधानसभा में पारित राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 का असर देश के कई अलग-अलग राज्यों में देखने को मिल रहा है.
यह देश का पहला ऐसा विधेयक था ,जो गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देता है. इसके तहत सरकार द्वारा 200 करोड़ रुपये का फंड स्थापित किया गया है और साथ ही एग्रीगेटर्स को हर कस्टमर के आधार पर एक सीमित शुल्क कल्याण कोष में देने का प्रावधान भी है.

यह विधेयक कई कारणों से बेहद महत्वपूर्ण है. ये हो सकता है की चुनावी सरगर्मियों के बीच कुछ और राज्य अगले लोकसभा चुनावों से पहले ऐसे विधेयकों को अपने यहाँ पारित करें.
पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले ही बता दिया है की वहां भी इस प्रकार के विधेयक आने वाले हैं. उधर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा की तमिलनाडु में भी बहुत जल्द गिग वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा को निर्धारित करते हुए एक कल्याण कोष का गठन किया जायेगा.

देश के कई भागों से राजस्थान में आये बिल को लेकर गिग वर्कर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गिग वर्कर्स ने मिडिया से बात करते हुए बताया की राजस्थान की तरह ही दिल्ली सरकार को भी इस तरह का एक कानून लाना चाहिए. वही कुछ श्रमिकों का कहना था की राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम में श्रमिकों के नजरिये से ढेर सारी खामियां है ,दिल्ली सरकार को उन खामियों को दूर कर श्रमिकों के पक्ष में अधिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा वाला कानून बनाना चाहिए.

इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के राष्ट्रीय महासचिव शेख सलाउद्दीन ने कहा “यह सराहनीय है कि राजस्थान सरकार ने इस अधिनियम को तैयार किया है जो राज्य सरकार, गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर प्लेटफार्मों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ एक सामाजिक सुरक्षा निधि और एक शिकायत निवारण सेल के साथ एक त्रिपक्षीय बोर्ड स्थापित करता है. गिग वर्कर्स की बढ़ती संख्या के बीच राष्ट्रीय राजधानी को भी इसी तरह का कानून की सख्त जरुरत है जो गिग वर्कर्स को शोषण से बचाये”.

श्रमिकों को कर्मचारी नहीं मानता राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम

हालांकि कुछ श्रमिकों ने कहा कि उनके लम्बे संघर्ष के बाद राजस्थान सरकार द्वारा लाये गए गिग वर्कर्स अधिनियम से उन्हें निराशा ही हाथ लगी है.
दिल्ली स्थित गिग वर्कर्स यूनियन के एक नेता ने कहा ” यह अधिनियम गिग श्रमिकों को कर्मचारियों के रूप में मान्यता नहीं देता है,जिसके कारण श्रमिक ईएसआई और भविष्य निधि सहित कई और प्रकार के लाभों से वंचित रह जायेंगे”.

दिल्ली स्थित गिग वर्कर्स यूनियन के एक नेता ने कहा, ‘प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स को कर्मचारी के रूप में मान्यता देने में कमी है, जो उन्हें ईएसआई और भविष्य निधि सहित लाभों के हकदार होते ‘.

सलाउद्दीन ने कहा कि “राजस्थान सरकार द्वारा लाया गया यह कानून कई मायनों में अधूरा है. अपनी बाकि की मांगों को पूरा कराने के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। फिर भी यह हमारे श्रमिकों को कानूनी सहायता प्रदान करता है”.

अब देखने वाली बात ये होगी की बाकि के राज्यों द्वारा लाया जा रहा गिग वर्कर्स सामाजिक सुरक्षा कानून किस तरह का होग. क्या वो श्रमिकों को कर्मचारी के रूप में मान्यता देने वाला होगा या फिर श्रमिकों को नए सिरे से अपनी लड़ाई को आगे बढ़ानी होगी.

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