दलित सरपंच को झंडा फहराने से रोका

15 अगस्त को जब पूरा देश आज़ादी की 76 वीं वर्षगांठ मना रहा था.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किला की प्राचीर से देश के भूत और भविष्य की विवेचना कर रहे थे. जब वो ये बता रहे थे की देश किस तरह आगे बढ़ रहा ,कैसे असमानता की जड़े खोद डाली गई हैं.

देश की राजधानी दिल्ली से तक़रीबन 750 किलोमीटर की दुरी पर मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में एक सरपंच को सिर्फ इसलिए झंडा फहराने से रोक दिया गया क्यों की वो छोटी जाति का था.

मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक गांव के दलित सरपंच ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता दिवस पर उसे एक स्कूल में तिरंगा नहीं फहराने दिया गया.

झंडा छूने से भी रोक दिया गया

विदिशा जिला के सिरोंज की भगवंतपुर ग्राम पंचायत के सरपंच बारेलाल अहिरवार ने आरोप लगाया कि स्कूल के ऊँचे जाति के शिक्षक ने उन्हें झंडा नहीं फहराने दिया और दलित होने के कारण उनका अपमान किया. उन्होंने प्रिंसिपल पर उनके खिलाफ जातिवादी टिप्पणी करने का भी आरोप लगाया.

सरपंच बारेलाल अहिरवार ने बताया की ‘मैं चमार हूं, इसलिए मुझे झंडे को छूने की इजाजत नहीं दी गई. एक तरफ तो हर तरह की बड़ी-बड़ी बातें की जाती है की सबको समान अधिकार प्राप्त है. देश संविधान से चलता है,तो क्या ये संविधान में लिखा है की छोटी जाति के लोग झंडा नहीं फहरा सकते. ये शिक्षक बच्चों को क्या सिखाते होंगे.आजकल मध्य प्रदेश में इस तरह की बातें बहुत सामान्य हो गई हैं’.

अहिरवार ने कहा कि उन्हें स्कूल से लौटा दिया गया और उनकी अनुपस्थिति में तिरंगा झंडा फहराया गया

सरपंच ने आगे बताया की ” पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सरपंच को झंडा फहराने का अधिकार है. तो क्या ये मेरे अधिकारों का हनन नहीं है की सिर्फ छोटी जाति का होने की वजह से मुझे झंडा फहराने से रोक दिया गया”.

सिरोंज एसडीएम हर्षल चौधरी ने मामले का संज्ञान लिया है और उन्होंने स्थानीय अधिकारियों से मामले की जांच करने को कहा है.
इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता अरुण यादव ने अहिरवार के आरोपों पर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है.हालांकि मुख्यमंत्री या राज्य सरकार की तरफ से अभी तक इस मामलें पर कोई टिप्पणी या जवाब नहीं आया है.

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