जापान ने साप्ताहिक वर्किंग डे 4 दिन किया, पहले हफ़्ते में 5 दिन करना पड़ता था काम

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एक तरफ़ भारत जैसे विकासशील देश अपने यहां श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर काम के घंटे 12 करने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं, दुनिया में बहुत लंबे समय से चली आ रही चार दिन की साप्ताहिक ड्यूटी को जापान ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है।

जापान सरकार ने अपने सालाना आर्थिकि नीति की गाइडलाइंस जारी करते हुए हफ़्ते में चार दिन काम का प्रस्ताव तैयार किया है। उल्लेखनीय है जापान में अधिक काम से होने वाली मौतें समय समय पर सुर्खियों में रही हैं।

इसके बाद पूरी दुनिया में फिर एक बार बहस छिड़ गई गई कि कर्मचारियों की बेहतरी ध्यान में रखते हुए काम करने के समय और निजी ज़िंदगी के लिए हफ्ते में औसत से अधिक समय दिया जाए।

जापान सरकार ने कंपनियों को सुझाव दिया है कि वे कर्मचारियों को 5 के बजाय सिर्फ 4 दिन काम करने का ऑप्शन दें।

कर्मचारियों को यह चुनने का भी अधिकार दिया जाएगा कि वे किन 4 दिनों में काम करना चाहेंगे।

दरअसल वहां की सरकार लोगों को इतना समय देना चाहती है कि वे नौकरी के साथ ही परिवार की जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बैठा सकें।

इस योजना को लेकर जापान सरकार सोचती है कि अतिरिक्त छुट्टी मिलने से लोग बाहर जाएंगे और खर्च करेंगे, जो अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर होगा।

जापान सरकार इसके जरिए अपने देश की गिरती जन्मदर से भी उबरना चाहती है।

रिसर्च फर्म फूजित्सू के अर्थशास्त्री मार्टिन शुल्त्स बताते हैं कि इस बदलाव को लेकर सरकारी गंभीर है। मार्टिन शुल्त्स बताते हैं, ”महामारी के दौरान कंपनियों ने काम करने के नए तौर-तरीके अपनाए। जापान की कुछ कंपनियों ने सरकार की योजना का लाभ उठा भी लिया है और अब वे अपनी जगह को कम कर रही हैं।”

जापान में आमतौर पर ऐसी खबरें आती हैं कि ज्यादा काम करने से लोग बीमार हो गए या फिर तनाव के कारण कर्मचारियों ने अपनी जान दे दी। इसे जापानी भाषा में कारोशी कहते हैं। इसका मतलब है कि जरूरत से ज्यादा काम से मौत। उम्मीद की जा रही है कि इस योजना से कारोशी की घटनाओं में कमी आएगी।

कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं कि इस योजना में खामियां हैं। जापान पहले ही कामगारों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को यह भी फिक्र है कि कम दिन काम करने से उनकी आय भी कम हो सकती है।

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