सग्रामी किसानों को सलाम जिन्होंने ज़ालिम/जिद्दी मोदी सरकार को पीछे हटने को मजबूर किया

paddy farmers

                                                                                                            By प्रो रवींद्र गोयल

हरियाणा और पंजाब में धान की फसल तैयार खड़ी है खेतों में।  हर साल तो 1 अक्टूबर से सरकार घोषित समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू कर देती है।

लेकिन इस बार सरकार ने ये खरीद 11अक्टूबर तक टाल दी।  तर्क था की क्योंकि इस साल मानसून लम्बा रहा है इसलिए अभी चावल पर्याप्त सूखा नहीं हैं और नमी वाला चावल खरीद के लिए तैयार नहीं है।

इसके विपरीत किसानों का कहना है कि यह सरकारी तर्क बेबुनियाद है।  यदि सरकार अब धान नहीं खरीदती है तो किसानों को धान प्राइवेट व्यापारियों को बेचना पड़ेगा जो निर्धारित मूल्य से 400/500 रूपया प्रति क्विंटल( quintal) कम देंगे।

और यदि किसान पहले से पकी हुई फसल की कटाई में 11 दिन की देरी करते हैं, तो दाना नीचे गिर जाएगा और उपज कम हो जाएगी। बहुत से किसान अपने चावल को समय पर कटाई के बाद स्टोर करने की क्षमता भी नहीं रखते हैं।

भारतीय किसान यूनियन ( दाखौन्दा )के महासचिव जग मोहन सिंह सही ही कहते हैं कि सरकारी खरीद में देरी की असली मंशा है की किसान अपनी फसल सस्ते दामों पर निजी व्यापारियों को पहले बेचें और सरकार बाद में बाज़ार में आये।

इस सरकारी षड्यंत्रपूर्ण कार्यवाही का 2 अक्टूबर को पंजाब और हरयाणा के किसानों ने विभिन्न जगहों पर जबरदस्त विरोध किया। सड़कें जाम की, विरोध प्रदर्शन किया और मार्केटिंग समितियों के दफ्तरों पर ताले लगाये।

किसानों के आक्रोश से डरी मोदी सरकार ने खरीदारी 11अक्टूबर तक टालने का आदेश वापस ले कर आज 3 अक्टूबर से ही धान की खरीदारी का आदेश दे दिया है।
उम्मीद की जानी चाहिए की किसानों की यह जीत उनके भविष्य की कामयाबियों का आगाज़ बनेगा।

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