लखनऊ के गांधी भवन में पीपल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) द्वारा दो दिवसीय (25-26 मार्च) राज्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मलेन में राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारी चयनित का चयन किया गया।
इसके अलावा समिति की ओर से तैयार दो दस्तावेज “उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकार व मानवाधिकार के हालात : सिविल राइट आंदोलन के समक्ष चुनौतियां” तथा “नागरिक अधिकार आंदोलन के समक्ष चुनौतियां और हमारा दायित्व” विचारार्थ वितरित किया गया।
पीयूसीएल द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक सम्मेलन के पहले दिन राज्य कौंसिल की बैठक तथा दूसरे दिन खुला सत्र हुआ। सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में राष्ट्रीय सचिव कविता श्रीवास्तव ने शिरकत की। राज्य सम्मेलन में 13 जिलों से चुन गए 32 प्रतिनिधियों व पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। पहले सत्र की अध्यक्षता तदर्थ समिति के संयोजक फरमान नकवी ने की।
सम्मेलन के संयोजक फरमान नकवी ने तदर्थ समिति के भंग किए जाने की घोषणा करते हुए कौंसिल को अगले कार्यकाल तक के लिए एक स्थायी राज्य कमेटी का चयन करने की बात कही।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि सम्मेलन के प्रथम दिवस तदर्थ समिति की ओर से तैयार दो दस्तावेज “उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकार व मानवाधिकार के हालात : सिविल राइट आंदोलन के समक्ष चुनौतियां” तथा “नागरिक अधिकार आंदोलन के समक्ष चुनौतियां और हमारा दायित्व” विचारार्थ वितरित किए गए। परंतु अपरिहार्य कारणों से प्रतिनिधियों के आने में विलम्ब की स्थिति में लगभग 3 घंटे विलम्ब से सत्र प्रारम्भ हो सका था।
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इसके अलावा उक्त दस्तावेजों में से केवल पहले दस्तावेज “उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकार व मानवाधिकार के हालात : सिविल राइट आंदोलन के समक्ष चुनौतियां” पर ही विचार हो सका। दस्तावेज का समर्थन करते हुए वक्ताओं ने दस्तावेज को अधिक समृद्ध बनाने के लिए सुझाव दिए तथा प्रूफ की गलतियों को सुधारने की भी जरूरत बतायी।
सम्मलेन का हिस्सा बनी कविता श्रीवास्तव ने राज्य सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों की सूची पर विचार करके को कहा। नेशनल कमेटी के सर्कुलर और महासचिव वी. सुरेश के अनुसार जिन जिला समिति के सदस्यों की संख्या कम से कम 24 या 25 तक है उन्हीं जिला सम्मेलनों को विधिवत माना जा सकता है।
इस आधार पर तय हुआ कि आए प्रतिनिधियों में से केवल पांच जिले- इलाहाबाद, कानपुर, उन्नाव, अलीगढ़, और सोनभद्र के कौंसिल सदस्य ही मतदान में भाग ले सकेंगे शेष जिलों के प्रतिनिधि पर्यवेक्षक ही माने जाएंगे। इस व्यवस्था को स्वीक उक्त पांच जिलों के कौंसिल सदस्यों और जिलों के सचिव बतौर पदेन सदस्य राज्य कार्य समिति का गठन किया।
पांच जिलों के सचिवों में अशोक प्रकाश, गीता सिंह, मुकेश तरण, गिरजेश पांडे और पदमा सिंह थे। कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के रूप में अध्यक्ष वंदना मिश्र, उपाध्यक्ष फरमान नकवी, प्रो. अशोक प्रकाश, टी.डी. भास्कर, रामकुमार, कमल सिंह, विनय सिन्हा, गोसिया खान, महा सचिव-आलोक अग्निहोत्री, सचिव सोनी आजाद, सरल वर्मा, रमेश चन्द्र विद्रोही, कोषाध्यक्ष- मनीष सिन्हा सर्वसम्मति से चयनित किए गए।
नेशनल कौंसिल के सदस्य- फरमान नकवी, सीमा आजाद, मनीष सिन्हा, कमलसिंह, आलोक अग्निहोत्री, विकास शाक्य एवं टी,डी, भास्कर चयनित किए गए। चुनाव के बाद नेशनल कमेटी पर्यवेक्षक कविता श्रीवास्तव ने खुले सत्र में लिस्ट का मुआयना करके व्यवस्था दी कि अशोक प्रकाश का नाम नेशनल कमेटी की सूची में नहीं है इसलिए फिलहाल उपाध्यक्ष पद पर उनका नाम स्वीकार नहीं किया जा सकता , परंतु जिला सचिव होने के कारण राज्य कार्यकारिणी सदस्य के रूप में वे स्वीकार्य हैं।
पीयूसीएल के सदस्यों का कहा है कि इस व्यवस्था को स्वीकृत करते हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद अगर कार्यकारणी चाहेगी तो वे उपाध्यक्ष का पदभार स्वीकार कर सकेंगे।
साथ ही कविता ने यह भी स्पष्ट किया कि नेशनल कार्यालय में दर्ज सदस्यता सूची में जिनके नाम नहीं हैं उन्हें कौंसिल द्वारा चुने जाने के बाद तब तक बतौर पदाधिकारी स्वीकार नहीं किया जा सकेगा, जब तक यह एत्मिनान नहीं हो जाता कि वे पहले से पीयूसीएल के सदस्य रहे हैं। उन्होंने इस तरह दो और नामों को जांचने की जरूरत व्यक्त की।
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इसमें राम कुमार और विकास शाक्य का चयन किया गया। हालांकि बैठक के दौरान चर्चा के दौरान तथ्य सामने आया कि रामकुमार तीन दशक से ज्यादा समय से आजीवन सदस्य व लगातार राज्य कमेटी के मुख्य पदाधिकारी व राज्य में एड्हाक कमेटी के सदस्य और नेशनल कौंसिल के भी सदस्य रहे हैं। इसी प्रकार विकास शाक्य भी विगत 20-22 वर्षों से आजीवन सदस्य तथा लम्बे समय से नेशनल कौंसिल के सदस्य हैं।
यहां तक, अंतिम नेशनल कौंसिल जिसने वर्तमान नेतृत्व, जिसकी पुष्टि अप्रेल के अंत में आयोजित सम्मेलन में होनी है, का चयन किया है विकास शाक्य व रामकुमार इसके भी सदस्य थे।
इसके बावजूद नेशनल कमेटी के कार्यालय की लिपिकीय त्रुटि को आधार बनाकर उनकी सदस्यता पर सवाल होने पर ऐतराज उठाया गया। कमल सिंह ने स्पष्ट किया कि पुराने सदस्यों की जो लिस्ट है वह सदस्यों की नहीं है बल्कि उनकी है जिन्हें पीयूसीएल का बुलेटिन डाक से पोस्ट किया जाता है। कविता ने नेशनल कमेटी के कार्यालय की समस्या को स्वीकर करके जांचने का आश्वासन दिया है।
राज्य कौंसिल की बैठक के बाद अगले दिन मंच पर नव चयनित महासचिव आलोक अग्निहोत्री और प्रो.रमेश दीक्षित की अध्यक्षता में खुले सत्र मे कविता श्रीवास्तव ने राज्य सम्मेलन की सफलता का उल्लेख करते हुए साम्प्रदायिक फासीवाद की प्रयोगशाला के रूप में उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकारों पर ढहाए जा रहे दमन के प्रतिरोध में सशक्त नागरिक अधिकार आंदोलन गठित करने का ऐलान किया।
प्रेस विज्ञप्ति
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