By शम्सुल इस्लाम
मानेसर में ग़रीब मुसलमानों के बहिष्कार का आह्वान कर कट्टर हिंदू संगठन क्या करना चाहते हैं ये समझना मुश्किल नहीं है।
गुड़गांव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल टूरिज़्म का सेंटर है। यहां अरब देशों, खाड़ी देशों से हज़ारों मुस्लिम अपना इलाज कराने के लिए यहां आते हैं।
यहां पांच पांच सात सितारा अस्पतालों में अरब देशों से आने वाले मरीजों के इलाज, दवा आदि की बेहतर सुविधा मुहैया की जाती है। इससे इन अस्पतालों को भारी मुनाफा होता है।
गुड़गांव में यह पूरी एक इंडस्ट्री बन चुकी है। गुड़गांव में इन अस्पतालों के करीब स्थित केमिस्ट की दुकानों पर अरबी और फारसी में दिशा निर्देश लिखे होते हैं।
ये कट्टर हिंदू संगठन ये बताएं कि गुड़गांव में जो 5 – 7 सितारा अस्पताल हैं, इनका वे बहिष्कार क्यों नहीं करते?
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अरबी में चलते हैं केमिस्ट स्टोर और रेस्टोरेंट
ये असल में खुद को धोखा देने, जनता के बीच झूठ बोलने और पाखंड करने जैसा है। अगर इन लोगों को मुसलमान दुकानदारों का बॉयकॉट करना है तो नेशनल और इंटरनेशनल कोई भी कानून इसकी इजाजत नहीं देता है।
लेकिन ये लोग इतने नासमझ नहीं हैं। वे कभी भी अरब देशों से होने वाले मुनाफे वाले कारोबार पर नहीं बोलेंगे। अगर वे ऐसा करते हैं तो वे भारत का ही काफी नुकसान करेंगे।
मैं हिंदुत्व के वीरों से यह पूछना चाहता हूँ कि गुड़गांव इंडिया के मेडिकल टूरिज़म का केंद्र है। यहाँ 5 – 7 सितारा अस्पतालों में 70 फीसदी मरीज़ मुस्लमान देशों से अपना इलाज कराने आते हैं।
साथ ही यहाँ पर कोई भी केमिस्ट कि दुकान ऐसे नहीं है जिसमें अरबी या फ़ारसी में न लिखा हो। यहाँ पर पचासों रेस्टोरेंट ऐसे हैं जिसमें उनका मेनू अरबी या फ़ारसी में लिखा होता है।
तो यदि हिंदूवादी सच में मुसलमानों का बहिष्कार करना कहते हैं तो इन लोगों को सबसे पहले ऐसे अस्पताल, रेस्टोरेंट और मेडिकल स्टोर चलते हैं उनका विरोध करना चाहिए जिसमें एक भी मुसलमान काम करता हो।
इन लोगों को उनके सेठों को बोलन होगा कि आप मुसलमानों को अपनी सेवाएं देना बंद कर दें। अस्पतालों में इलाज कराने वाले सैकड़ों लोग गुडगाँव में किराये पर मकान ले कर रहते हैं तो आप उन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करो। तब आपकी बाहदुरी पता लगेगी।
बड़े अस्पाताल में मुसलमानों का इलाज
ये छोटे दुकानदार जैसे बढ़ई, लोहार या कोई सब्जी बेचने वाले पर अपनी दादागीरी दिखाने का कोई मतलब नहीं बनता है।
अगर बंद करना ही है तो हरियाणा सरकार से बोल कर मुस्लिम देशों से आने वाले मरीज़ों का इलाज बंद करें। लेकिन इस बहिष्कार का सब से बुरा प्रभाव इन अस्पतालों पर ही पड़ेगा।
इंडोनेशिया, मलेशिया, जॉर्डन, अफगानिस्तान समेत अरब देशों के लोगों को इस बात की सूचना मिलेगी वो लोग यहाँ आना बंद कर देंगे।
असल में इन कट्टरपंथी लोगों को कहना चाहिए कि हम लोग केवल गरीब मुसलमानों का ही नहीं विदेशों से आने वाले मुसलमानों का भी बहिष्कार करेंगे तब तो कुछ बात समझ आती है।
तो ये रेहड़ी पटरी वाले मुसलमानों का बहिष्कार करने का क्या फायदा, जो रोज़ खता कमाता है। साथ ही उसकी मौत भी एक आम हिन्दू की तरह ही होती है।
हिंदू कट्टरपंथी बजरंग दल और हिंदू सेना ने मानेसर में एक पंचायत कर मुसलमान दुकानदारों का बायकॉट करने का फैसला, दरअसल मज़दूर वर्ग में दरार डालने के लिए किया जा रहा है।
मुख्य रूप में इन लोगों ने कभी समाज में धर्म बदल कर सामाजिक बराबरी हासिल की थी, इसीलिए आज वे निशाना बनाए जा रहे हैं।
आज आरएसएस वहां वहां मज़बूत है जहाँ पहले आर्य समाज मज़बूत था। अब ये लोगों आज के मुसलमाओं को एक सबक सीखना चाहते हैं और साथ ही हिन्दू शूद्रों को ये संदेश देना चाहते हैं कि अगर तुम भी कुछ ऐसा करोगे तो तुम्हारे साथ भी ऐसा ही किया जाएगा।
(लेखक चर्चित नाटककार हैं और गुड़गांव में ही रहते हैं। शमसुल इसलाम दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ा चुके हैं। लेख में दिए विचार उनके निजी हैं। लेख बातचीत पर आधारित। ट्रांसक्रिप्शन शशिकला सिंह।)
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