पंजाब: BOCW के कल्याण कोष से किराये पर ली जाएंगी 30 नई कारें!

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पंजाब में  भवन एंव अन्य निर्माण  श्रमिक  ( BOCW) कल्याण  बोर्ड ने  मजदूरों की भलाई और उनके कल्याण के पैसे से  30 नई कारें  किराये पर लेने का प्रस्ताव  दिया है , जबकि बोर्ड के पास पहले से  पर्याप्त  संख्या में गाडियां मौजूद  हैं।

इस मामले को सामने लाते हुए   वंचित श्रमिकों और दिव्यांगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठन ‘सेंटर फॉर सोशल चेंज एंड इक्विटी’ संगठन निदेशक विजय वालिया ने कहा कि बोर्ड के पास पहले से ही 27 कारें हैं।

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अधिक कारों पर वेलफेयर फंड का खर्च करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने  आरोप लगाते हुए  कहा है कि  श्रम विभाग अपने अधिकारियों की सुख-सुविधा के लिए कल्याण कोष का दुरुपयोग कर रहा है।

श्रमिक कल्याण के लिए कारें

श्रम आयुक्त टीपी फुल्का ने कहा कि बोर्ड के सदस्यों ने किराये पर कार लेने के लिए अभी अपनी मंजूरी दी है। कारें श्रमिकों के कल्याण के लिए हैं और इनका उपयोग श्रमिकों के पंजीकरण और उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए किया जाएगा।

श्रम विभाग के प्रधान सचिव मनवेश सिंह सिद्धू ने कहा कि बोर्ड के 25 वाहन काम करने की स्थिति में नहीं है। नई कारों को किराये पर लेने पर होने वाला खर्च पुरानी कारों के लिए हम जितना भुगतान कर रहे हैं, उससे कम होगा। इसके अलावा बीओसीडब्ल्यू अधिनियम के तहत लाभार्थियों को दिए गए कुल लाभ का 5 फीसदी प्रशासनिक खर्चों पर व्यय करने की अनुमति देता है। इस सीमा के भीतर 30 कारें किराये पर ली जा सकती हैं ।

5 % धन का उपयोग कर सकते हैं

गौरतलब है कि भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्ल्यू) के जरिए 30 नई कारों को रेंट पर लिया जाएगा। हिंदुस्तान से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार नई कारों के किराये का भुगतान करने के लिए करीब 1.5 करोड़ रुपय खर्च करेगी।

इस विषय में हाल ही में हुई 29वीं बोर्ड बैठक के दौरान प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी गई थी। किराये पर ली जाने वाली 30 कारों में से 26 कार का प्रयोग फील्ड के अधिकारी करेंगे, वहीं 4 कार विभाग मुख्यालय में अधिकारी यूज करेंगे। 26 फील्ड कार्यालयों और मुख्यालयों का काम सुचारू रूप से चलाने के लिए 11 मार्च 2010 को बीओसीडब्ल्यू वेलफेयर बोर्ड की तीसरी बैठक हुई थी।

इसमें 24 टाटा सूमो और एक इंडिगो कार खरीदने का प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि  अब 10 साल बीत चुके हैं और  इन वाहनों का रख रखाव काफी महंगा पड़ रहा है।

कुछ कारें इस्तेमाल होने के लायक भी नहीं हैं। अंदरूनी सूत्रों की माने तो विभाग ने किराय पर कार लेने का फैसला इसलिए किया है, क्योंकि मौजूदा कारों में एसी नहीं है।

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गाड़ियों के बेड़े में अभी 24 टाटा सूमो, एक इंडिगो और दो इनोवा है। इंडिगो और टाटा सूमो कार को 2010 में खरीदा गया, जबकि इनोवा को 2014 में खरीदा गया। अभी फील्ड अधिकारी इंडिगो और टाटा सूमो का इस्तेमाल करते हैं, जबकि इनोवा का यूज मुख्यालय में तैनात अधिकारी करते हैं। 12 सालों में फील्ड अधिकारियों की सभी गाड़ियां 50 हजार किलोमीटर से कम चली हैं। प्रत्येक फील्ड कार पर एक साल में सिर्फ 2 लाख रुपये खर्च हुए हैं, जिसमें ड्राइवर की सैलरी, ईंधन और रख-रखाव शुल्क शामिल है। कारों की हालात अच्छी है। यहां तक कि कारों के टायर भी खरीदे जाने के बाद नहीं बदले गए हैं।

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