सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ बैंककर्मी 10 मार्च को करेंगे संसद घेराव

all india bank employee strike in august 2020

बीते फरवरी महीने में पेश बजट में मोदी सरकार ने कई राष्ट्रीय बैंको को निजी हाथों में देने का फैसला लिया,जिसके बाद देश भर के बैंक कर्मचारी संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

कर्मचारी संगठनों ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे मार्च में संसद का घेराव करेंगे। बताते चलें कि वित्त मंत्री ने इस महीने की शुरुआत में अपने बजट भाषण के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।

यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियंस के बैनर तले नौ यूनियनों एआईआईबीए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ के बैंक कर्मचारी और अधिकारी मिलकर सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

बैंककर्मी प्रभात चौधरी का कहना है कि सरकारी बैंकों के सामने एकमात्र समस्या खराब कर्ज की है, जो अधिकांश कॉरपोरेट और अमीर उद्योगपतियों द्वारा लिए जाते हैं। सरकार उन पर कार्रवाई करने के बजाय, बैंकों का निजीकरण करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि “सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार करे। कहा कि इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने युवा बेरोजगारों को स्थायी नौकरियां दी हैं, जबकि निजी बैंकों में केवल अनुबंध की नौकरियां हैं।”

एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा ‘‘सरकारी बैंकों के सामने एकमात्र समस्या खराब ऋणों की है, जो अधिकांश कॉरपोरेट और अमीर उद्योगपतियों द्वारा लिए जाते हैं। सरकार उन पर कार्रवाई करने के बजाय, बैंकों का निजीकरण करना चाहती है।’’

उन्होंने निजी क्षेत्र के बैंकों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले साल यस बैंक मुसीबत में था और हाल ही में लक्ष्मी विलास बैंक का अधिग्रहण एक विदेशी बैंक ने किया है।

उन्होंने कहा ‘‘हमने आईसीआईसीआई बैंक में समस्याओं को देखा है। इसलिए कोई यह नहीं कह सकता है कि निजी क्षेत्र की बैंकिंग बहुत कुशल है। दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आम लोगों, गरीब लोगों, कृषि, छोटे स्तर के क्षेत्रों को ऋण देते हैं, जबकि निजी बैंक केवल बड़े लोगों की मदद करते हैं।’’

एआईबीईए ने कहा कि इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने युवा बेरोजगारों को स्थायी नौकरियां दी हैं, जबकि निजी बैंकों में केवल अनुबंध की नौकरियां हैं।

बैंक संगठन 10 मार्च को बजट सत्र के दौरान संसद के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद 15-16 मार्च 2021 को बैंकों के 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी दो दिन की हड़ताल करेंगे।

अगर सरकार अपने फैसले पर आगे बढ़ती है, तो हम आंदोलन तेज करेंगे और लंबे समय तक हड़ताल और अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।

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