बेलसोनिका मज़दूरों की सेहत से खिलवाड़: कैंटीन के खाने में कभी कीड़े निकल रहे, तो कभी कनखजूरा

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हरियाणा के आईएमटी मानेसर में स्थित बेलसोनिका कंपनी के मज़दूरों के लिए कैंटीन का खाना नासूर बन गया है जहां आए दिन खाने में कीड़े निकल रहे हैं।

मजदूर कई महीनों से खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन मैनेजमेंट उनके स्वास्थ के साथ खिलवाड़ करते हुए कोई कार्यवाई नहीं कर रहा है।

मारुति की कंपोनेंट बनाने वाली इस कंपनी के कैंटीन में खाने की लगातार गिर रही गुड़वत्ता को ध्यान में रख कर बेलसोनिका मज़दूर यूनियन ने मैनेजमेंट को एक शिकायत पत्र सौंपा है।

खत में मुख्य रूप से संस्थान की कैंटीन से मिलने वाले खाने में लगातार हो रही खराबी की शिकायत की गयी है।

एक यूनियन नेता ने बताया कि कैंटीन में खाने की थाली के रेट भी बढ़ा दिए हैं। 300 रुपये प्रति महीना कैंटीन का कटता था। जून महीने में 64 रुपये का इजाफा करते हुए 364 रुपये कटने लगे है। लेकिन खाने की गुणवत्ता में लगातार गिरावट हो रही है।

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यूनियन की ओर से कहा गया कि शनिवार दोपहर को कैंटीन के खाने में बनी सब्जी में कीड़े निकले। कैंटीन की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं। साथ ही खाने की क्वालिटी में लगातार गिरावट हो रही है।

बेलसोनिका मज़दूर यूनियन प्रधान, मोहिंदर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया, “अभी हाल ही के दिनों में कैंटीन में खाने की थाली के रेट भी बढ़ गए हैं। जिसमें वर्कर की तरफ से 64 रुपए का इजाफा किया गया है।

यह जो भी इजाफा हुआ वह यूनियन की सहमति के बिना मैनेजमेंट के द्वारा 5 जुलाई को वर्कर्स पर थोपा गया था। दाम बढ़ाने के बावजूद कैंटीन मैनेजमेंट वर्कर्स को सही खाना नहीं दे पा रहा है।”

Bellsonica canteen

साथ ही उनका कहना है कि यदि मज़दूरों को इसे प्रकार का खाना मिलता रहेगा तो मज़दूरों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका बढ़ सकती है।”

प्रसाशन की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। यूनियन बार-बार आग्रह कर रही है कि इस खाने की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।

पिछले कई दिनों से कैंटीन में जो समस्याएं आ रही हैं जिसमे से यूनियन में कुछ मुख्य बातों को अपने मांग पत्र में लिखा है।

  •  5 जुलाई “बी” शिफ्ट में समोसे की गुणवत्ता खराब थी।
  • 7 जुलाई को “बी” शिफ्ट के खाने (सब्जी) में कीड़ा निकला।
  •  8 जुलाई को “ए” शिफ्ट में सुबह चाय के साथ आने वाले स्नैक्स के साथ जो कचौड़ी मिली, वह खराब थी।
  •  10 जुलाई को सुबह की चाय के साथ जो समोसा आया था वह काफी मात्रा में खाली थे।
  • 12 जुलाई को “सी” शिफ्ट में मिलने वाले केले बहुत ही खराब थे।
  • 13 जुलाई को “सी” शिफ्ट में मिलने वाले पराठे की क्वालिटी बहुत ही खराब थी, यहां तक कि बहुत सारे पराठों में आलू भी नहीं थे।
  • 16 जुलाई को “ए” शिफ्ट में सब्जी में कीड़े निकले थे।

गौरतलब है कि मार्च के समय से यूनियन खाने की गुणवत्ता का मुद्दा उठा रहा है। इस दौरान दो-दिवसीय भूख हड़ताल का भी आयोजन किया गया था।

इन सब के बाद भी यदि संस्थान अपने मज़दूरों को सही खाना या पानी नहीं दे पा रही है तो मज़दूरों का काम करना मुश्किल हो सकता है।

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